जीवन जीने की कला है संस्कृत : श्रीमान् च. मू. कृष्ण शास्त्री जी

नयी दिल्ली. जीवन मे सकारात्मकता , समर्पण  व मानवीय मूल्यों का विकास संस्कृत के माध्यम सें सम्भव है क्योंकि संस्कृत जीवन जीने की कला है. आवश्यकता है संस्कृत को जनमान तक पहँचाने की उपर्युक्त विचार संस्कृत भारती के अखिल भारतीय प्रशिक्षण प्रमुख श्रीमान् च. मू. कृष्ण शास्त्री जी ने संस्कृत भारती दिल्ली प्रान्त की ओर से आयोजित आवासीय शिक्षक प्रशिक्षण वर्ग में प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित व्यक्त किये. इस शिक्षण वर्ग ​का आयोजन ​ 23 मई से 3 जून तक आर. आर. गीता विद्यालया सुल्तानपुरी दिल्ली में मे किया गया .

समापन कार्यक्रम में संस्कृत भारती के दिल्ली प्रान्ताध्यक्ष एवं लालबहादुर शास्त्री विद्यापीठ के प्रोफेसर डॉ. हरेराम त्रिपाठी जी ने कहा कि सामान्य संस्कृत के साथ साथ शास्त्रों के संरक्षण एवं संवर्धन की आवश्यक्ता है क्योंकि संस्कृत शास्त्रों में ज्ञान-विज्ञान के भण्डार भरे हैं. इस वर्ग में 47 लोगों ने भाग लिया. जिसमें 22 महिला भी उपस्थित रहीं. प्रति दिन सम्भाषण शिबिर शाम को साढे चार बजे से लेकर साढे छः बजे तक होता था.  शिबिर में सुल्तानपुरी के लोगों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया. विशेष बात यह है कि सुल्तानपुरी जे. जे. कॉलोनी से पन्द्रह बीस लोगों ने भी भाग लिया. संस्कृत भारती समाजिक लोगों को तीस वर्षों से संस्कृत का प्रशिक्षण दे रही है. संस्कृत भारती के प्रयास से ही आज लाखों लोग धारा प्रवाह संस्कृत में वार्तालाप करने में सक्षम हुए  हैं.

वर्ग के मध्य में समाज एवं शिक्षा जगत के अनेक प्रतिष्ठित महानुभावों एवं विज्ञानों का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ. इसी श्रृंखला में लालबहादुर शास्त्री विद्यापीठ के कुलपति प्रो. रमेश कु.पाण्डेय जी ने कहा कि संस्कृत भाषा भारत में सर्वसामान्य की भाषा रही है और संस्कृत भारती के प्रयास से प्रत्येक व्यक्तितक संस्कृत पहुँचने लगी है. प्रसिद्ध शिक्षाविद् एवं संस्कृत-भारती के अखिल भारतीय अध्यक्ष डॉ. चान्दकिरण सलूजा जी ने शिक्षार्थियों को पाठन कौशल के साथ संस्कृत के श्रेष्ठत्व के विषय से अवगत करवाया.

2 जून को सुल्तानपुरी की उपेक्षित सेवा बस्तियों में विशाल शोभायात्रा का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध भाषाविद् डॉ. कौशलेन्द्र प्रपन्न ने कहा कि संस्कृत को रुचिपूर्ण बनाकर इसे आम जनता तक पहुँचाने की और इसे रोजगार – परक बनाने की आवश्यकता है.

संस्कृत भारती के अ. भा. महामन्त्री डॉ. नन्द कुमार ने युवाओं का आवाहन करते हुये कहा कि संस्कृत-आन्दोलन के लिए लाखों युवक-युवतियाँ लगी हुई है और हम सब को यह कार्य जरूर करना चाहिए. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के उत्तरी विभाग के माननीय विभाग संघचालक श्री सत्यनारायण बन्धु जी ने कहा कि संस्कृत भाषा भारत ही नही विश्व की भाषा बनेगी. उपर्युक्त कार्यक्रम में दिल्ली प्रान्त के संगठन मन्त्री श्री सुधीष्ट जी , सहमन्त्री श्री कौशल किशोर जी प्रान्तप्रशिक्षण प्रमुख डॉ. विजय जी , प्रान्त सम्प्रर्क प्रमुख श्री श्रीनिवासन् जी , वर्गव्यव्स्था प्रमुख श्री सुरेश लाल जी के साथ साथ प्रान्त के सभी वरिष्ठ कार्यकर्ता उपस्थित थे.

कार्यक्रम में संस्कृत नाटक , प्रहसन , संवाद , सम्भाषण , गान इत्यादि का आकर्षक प्रदर्शन किया गया.

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