पुणे (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि बिना सफलता के संतुष्टि नहीं मिलती है. सफलता के साथ सार्थकता पाने के लिए भी प्रयास करना पड़ता है. सरसंघचालक जी पुणे में लता मंगेशकर मेडिकल फाउंडेशन के दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में कुसालकर ऑटोमेटिक व एक्स-रे सेंटर का लोकार्पण करने के पश्चात गणमान्यजनों को संबोधित कर रहे थे. कार्यक्रम में उन्होंने मानव स्वभाव के साथ ही अन्य कई विषयों पर भी अपने विचार व्यक्त किए.
डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि हमारा जीवन सार्थकता पाने के लिए है. इसे हमेशा ध्यान में रखना चाहिए. क्योंकि इसके लिए प्रयास करने वाला समाज ही प्रगति करता है. यह देश सफलता और सार्थकता पर विचार करने वाला देश है. जीवन में देश के प्रति योगदान को भूलना नहीं चाहिए. हमें दुनिया भर में जितना भी सम्मान मिले, तब भी उसका 50 प्रतिशत योगदान अपने देश को ही जाता है. देश ही हमारी पहचान है, इसे ध्यान में रखना चाहिए.
सरसंघचालक जी ने कहा कि मन का मंथन महत्त्वपूर्ण है. मन की संवेदना बनाए रखने के लिए लगातार चिंतन पर हमेशा कार्य करते रहना चाहिए. दो हाथों से नहीं, बल्कि सौ हाथों से दान करना चाहिए. समाज के प्रति संवेदना हो और वापस करने की भावना से काम करते रहे तो प्रेरणा बाहर से लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी. कदाचित कई मामलों में अपेक्षित फल नहीं मिलता है. उसके बावजूद अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए आगे प्रयास व सुधार आवश्यक है. खुद के साथ दूसरों के दुःखों का ज्ञान हो, यह पशु और मानव संवेदना का सबसे बड़ा अंतर है. ऐसे में एकांत मिलने पर आत्मसाधना करना और परोपकारपूर्वक जीवन व्यतीत करने का विचार करना चाहिए.
दिनानाथ मंगेशकर अस्पताल में आयोजित कार्यक्रम में ट्रस्टी पंडित हृदयनाथ मंगेशकर जी, डॉ. धनंजय केलकर जी, तनुजा कुसालकर जी और विजय कुसालकर जी सहित शहर के विभिन्न क्षेत्रों के मान्यवर उपस्थित थे. कुसालकर जी के नाम से शुरू हुआ ऑटोमेटिक व एक्स-रे सेंटर के संदर्भ में विजय कुसालकर जी ने कहा कि धन अर्जन कर उसका उपयोग कैसे करना है, इसका ज्ञान होना जरूरी है.