नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह वी भागय्या जी ने कहा कि अनुसूचित जाति का विकास ही देश का विकास है, लेकिन बड़ी संख्या में अनुसूचित जातियों के नेताओं व संगठनों की उपस्थिति के बावजूद उनके विकास के लिए जितना काम होना चाहिए, वह नहीं हो पा रहा है. सह सरकार्यवाह जी भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर जी के 127वें जन्मदिवस पर दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने संसद परिसर में डॉ. अंबेडकर जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के उपरांत संसद भवन के निकट आयोजित सामाजिक समरसता मंच के कार्यक्रम में कहा कि अनुसूचित जातियों के हितों की बात करने की दुहाई देने वाले नेता और संगठन प्रचुर मात्रा में हैं, लेकिन जमीनी सच्चाई यह है कि जिस प्रकार का संघर्ष अनुसूचित जातियों के हितों के लिए होना चाहिए, वैसा हो नहीं पा रहा है. इसकी जिम्मेदारी सभी पर है कि वे अनुसूचित जातियों के समग्र विकास की चिंता करें.
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि मैट्रिक उपरांत अनुसूचित जाति के छात्रों की शिक्षा के लिए दी जाने वाली छात्रवृत्तियों में से एक भी छात्रवृत्ति 2016-17 में अब तक नहीं दी गई है. अनुसूचित जाति के छात्र ऐसी स्थिति में किस प्रकार अपनी पढ़ाई जारी रख पाएंगे. अनुसूचित जाति के कल्याण के लिए राज्य सरकारों को दिया गया पैसा किसी और काम में लगाए जाने के प्रकरण भी सामने आए हैं. उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों, खासकर प्राथमिक विद्यालयों में संस्थागत सुधार की जरूरत है क्योंकि अनुसूचित जाति के छात्र बड़ी संख्या में इन स्कूलों में पढ़ते हैं. गरीब व अनुसूचित जाति के लोग मुख्यत: सरकारी अस्पतालों में इलाज करवाने जाते हैं, लेकिन वहां भी उन्हें जैसी सेवाएं मिलनी चाहिएं वैसी नहीं मिल पातीं. उनका इलाज नहीं हो पाता है. इसे बदलने की जरूरत है. इस बात से फर्क नहीं पड़ता है कि सरकार किसकी है. सरकार किसी भी दल की हो सकती है. लेकिन सबसे जरूरी है, अनुसूचित जाति के हितों की रक्षा करना और संविधान में दिए गए प्रावधानों पर इस प्रकार अमल करना कि उनका सशक्तिकरण हो सके. इसके लिए सभी को मिलकर प्रयास करना होगा.
डॉ. अंबेडकर हमेशा कहा करता थे कि शिक्षा प्राप्त कर योग्य बनो और संघर्ष करो. उन्होंने हमेशा समता, बंधुता और स्वतंत्रता पर जोर दिया. हम सबको भी बंधुता पर जोर देना होगा, क्योंकि बंधुता ही स्वतंत्रता और समता की गारंटी है. सह सरकार्यवाह जी ने कहा कि डॉ. अंबेडकर का स्पष्ट मत था कि भारत में केवल भौगोलिक एकता ही नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक एकता भी है. भारत को एक रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और सामाजिक आंदोलन को संतुलित ढंग से चलाया. अस्पृश्यता आज भी हमारे समाज में मौजूद है. सवर्णों को अहंकार छोड़कर इसका विरोध करना होगा. वेद – उपनिषद आदि कहीं भी अस्पृश्यता का समर्थन नहीं किया गया है. अगर कोई ग्रंथ ऐसी बात करता भी है तो उसे मानने की कोई आवश्यकता नहीं है.
राजधानी दिल्ली में वी. भागय्या जी ने डॉ. अंबेडकर जयंती के अवसर पर विभिन्न स्थानों पर सभाओं को संबोधित किया तथा भारत प्रकाशन द्वारा विशेष रूप से प्रकाशित एक पुस्तक का विमोचन भी किया.
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