नई दिल्ली , 4 अगस्त। इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय एवं प्रज्ञा प्रवाह के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसका मुख्य विषय “ भारत में समावेशीकरण का राष्ट्रीय विमर्श ” रहा। इस विषय पर अपनी बात रखते हुए कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल जी ने कहा ये विषय अपने आप में बेहद बृहद है। आज के सन्दर्भ में ये विषय बेहद ही आवश्यक है जो समाज को सही राह पर ले जाने में मदद करेगा। हिंसा किसी भी समस्या का हल नहीं और इसलिए महान डॉ. भीमराव आंबेडकर ने हमेशा कहा संघर्ष करो एक रहो लेकिन हिंसा नहीं।
उन्होंने संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वह समाज के एकीकरण के लिए आजीवन कार्य करते रहे। उनका जीवन अपने आप में प्रेरणा है। उच्च शिक्षा विश्व के बेहतरीन विश्वविद्यालय से हासिल करने करने के बावजूद उन्होंने आराम की जिन्दगी नहीं जीने का फैसला किया। उन्होंने भारत में निचले तबके के लिए आजीवन काम किया। उन्होंने संघर्ष करने के बावजूद समाज में हर तबके के लिए कुछ करने का अपना प्रयास जारी रखा। डॉ. आंबेडकर पर कोई अगर ये आरोप लगाता है कि उन्होंने जाति विशेष या धर्म विशेष के लिए ही काम किया तो उन्हें देश का संविधान देखना चाहिए जो सबके लिए समान है किसी एक के लिए नहीं।
डॉ. कृष्णगोपाल जी ने समाज से आह्वान करते हुए कहा हमें निचले स्तर पर जाकर अपने बन्धुओं का दर्द समझना होगा और उन तक सही बातों को पहुंचाना होगा। विदेशी शक्तियां और कुछ राजनीतिक शक्तियां गलत तरीके से समाज को उकसा रही है जो समाज और देश के लिए ठीक नहीं है। हिंसा हल नहीं है , हिंसा होने से समाज की गति विपरीत दिशा में जाती है। भारतवर्ष में हुए संतों ने हमेशा भेदभाव के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी जिसमें उनको सफलता भी मिली क्योंकि समाज उनके साथ था। सिर्फ कानून बदलने से कुछ नहीं हो सकता है और ना ही केवल सरकारें कर सकती हैं इसमें समाज को भी साथ देना होगा। “ सर्व समावेशी ” होना देश को अपने आप में ही परिभाषित करता है। विश्व के कई अन्य देश हैं लेकिन भारत जैसा सर्वधर्म समभाव कहीं नहीं है। पूर्वोत्तर में करीब 200 जातियां थीं इसके बावजूद वो एकता के सूत्र में बंधी हुई थीं जिसे अंग्रेजो के द्वारा तोड़ने की कोशिश भी की गई। हमारे समावेशी विचार के कारण ही लाखों की संख्या में आए बाहरी आक्रमणकारी भारत में ही समा गए जबकि हमने किसी पर आक्रमण नहीं किया।
कार्यक्रम का उद्धघाटन संबोधन केन्द्रीय समाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने किया। कार्यक्रम का आयोजन इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के मैदानगड़ी स्थित बाबा साहेब आंबेडकर सभागार में आयोजित किया गया।