नागपुर, मई 16, लखेश्वर चंद्रवंशी : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सहसरकार्यवाह दत्तात्रय होसबले ने कहा कि संघ शिक्षा वर्ग की परम्परा, इतिहास और विशेषताएं अद्भुत है। यह वर्ग समयानुसार अधिक विकसित होता गया और इस प्रशिक्षण वर्ग में स्वयंसेवक तप कर प्रशिक्षित होते हैं। होसबले ने कहा कि संघ शिक्षा वर्ग पहले 40 दिनों का होता था, फिर यह 30 दिनों का हो गया और अब यह 25 दिनों का होता है। इसका तात्पर्य है कि 40 दिनों में जो सिखाया जाता था, उसे 25 दिनों में सिखाना है और अधिक सजगता से प्रशिक्षण के द्वारा सबकुछ ग्रहण भी करना है। सहसरकार्यवाह नागपुर में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संघ शिक्षा वर्ग (तृतीय वर्ष) के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।
सहसरकार्यवाह दत्तात्रय होसबले ने कहा कि संघ की स्थापना 1925 में हुई, 1926 से दैनिक शाखा शुरू हुई और 1929 में पहली बार संघ शिक्षा वर्ग का आयोजन किया गया था। प्रारंभ में इसे ऑफिसर ट्रेनिंग कैम्प (ओटीसी) कहा जाता था। प्रारंभ में आद्य सरसंघचालक डॉ.हेडगेवार के निर्देशानुसार नागपुर और विदर्भ के प्रशिक्षित स्वयंसेवक अन्य प्रान्तों में जाकर स्वयंसेवकों का प्रशिक्षण वर्ग लेते थे। सन 1940 में डॉ.हेडगेवार की उपस्थिति में पहली बार अखिल भारतीय संघ शिक्षा वर्ग संपन्न हुआ था।
होसबले ने कहा कि 2016 का यह संघ शिक्षा वर्ग संभवतः 82 वर्ग है। संघ की स्थापना को 90 वर्ष हो गए पर बीच में कुछ वर्ष संघ शिक्षा वर्ग नहीं हो सका। उन्होंने बताया कि 1948 और 49 में संघ पर प्रतिबंध लगाए जाने के कारण यह वर्ग नहीं हो सका था, बाद में आपातकाल के दौरान 1975 और 76 में यह वर्ग नहीं हो पाया। इसी तरह दिसंबर 1992 में राम मंदिर आन्दोलन के चलते संघ पर प्रतिबंध लगाया गया और इस कारण से 1993 में यह वर्ग नहीं हो सका।
दत्तात्रय होसबले ने कहा कि संघ शिक्षा वर्ग में लघु भारत का दर्शन होता है। संघ की प्रार्थना, गणवेश आदि में समानता या एकरूपता ही संघ का परिचय नहीं है। संघ तो भारत की विविधता और उसमें समाए एकात्मता को अपने में समेटे हुए है। संघ के गीत, कहानियों और प्रेरक पुस्तकें देश के विभिन्न प्रांत की भाषाओँ में उपलब्ध है। संघ शिक्षा वर्ग का प्रारूप (खाका) देशभर में एक समान है, तथापि उन वर्गों में उस-उस प्रांत की विशेषताएं, विविधताएं और उसकी उसकी सुगंध समाया हुआ है। सहसरकार्यवाह ने कहा कि संघ शिक्षा वर्ग में मिलनेवाला प्रशिक्षण भारत को अपने अन्दर अनुभव करने की प्रेरणा देती है। स्वामी रामतीर्थ की उक्ति का उल्लेख करते हुए होसबले ने कहा कि स्वामी रामतीर्थ कहा करते थे कि “भारत भूमि मेरा शरीर है। कन्याकुमारी मेरे चरण हैं। हिमालय मेरा सिर है। मेरे केशों से गंगा बहती है। मेरे बाजुओं से ब्राहृपुत्र तथा सिन्धु निकलती हैं। विंध्याचल मेरे कमर की करधनी है। कोरोमंडल मेरा दायां पांव है और मालाबार मेरा बायां पांव। मैं सम्पूर्ण भारत हूं…” होसबले ने कहा कि क्या हम स्वामी रामतीर्थ की तरह भारत को अपने अन्दर अनुभव कर सकते हैं?
सहसरकार्यवाह ने कहा कि संघ शिक्षा वर्ग (तृतीय वर्ग) कोई डिग्री नहीं है, पर स्वयंसेवकों के प्रशिक्षण के लिए आवश्यक है। तृतीय वर्ष शिक्षित स्वयंसेवकों से ये अपेक्षा की जाती है कि वे संघकार्य के प्रति प्रतिबद्ध रहे और जीवनभर संघ का कार्य करते रहे। संघ शिक्षा वर्ग की साधना और तपस्या का लाभ लें और संघकार्य के साथ अपने जीवन को विकसित करते हुए संघ कार्य को आजीवन करते रहने का संकल्प लें, इस आह्वान के साथ दत्तात्रय होसबले ने संघ शिक्षा वर्ग का औपचारिक उद्घाटन की घोषणा की।
इस दौरान संघ शिक्षा वर्ग के सर्वाधिकारी प्रोफ़ेसर डॉ.वन्यराजन, वर्ग कार्यवाह हरीश कुलकर्णी, वर्ग के पालक अधिकारी स्वांत रंजन के साथ ही सहसरकार्यवाह भागय्याजी उपस्थित थे। इस वर्ग में 800 से अधिक युवा स्वयंसेवक सहभागी हुए हैं।
साभार : न्यूज़ भारती हिंदी