नेपाली संस्कृति परिषद, गुजरात इकाई द्वारा रविवार को आदि कवि भानुभक्त की 203वी जयंती का आयोजन किया गया. इस अवसर पर नेपाल की लोकधुनो पर आधारित नृत्य की भव्य प्रस्तुति की गई. इसके बाद परीक्षा में सर्वाधिक अंक अर्जित करने वाले 100 छात्रों को स्मृति चिन्ह एवं प्रमाणपत्र देकर प्रोत्साहित किया गया साथ ही नेपाल मे आयी प्राकृतिक आपदा मे राहत सामग्री एवं अन्य प्रकार से सहयोग करने वाले कार्यकर्ताओं को भी स्मृति चिन्ह एवं शाल देकर सम्मानित किया गया.
इस अवसर पर नेपाली संस्कृति परिषद के अन्तरराष्ट्रिय सह संगठन मंत्री श्री हरक बहादुर जी ने कहाँ कि नेपाली संस्कृति परिषद भारत में रह रहे सभी नेपालवासी भाई-बहेनों के बीच सतत प्रभावी ढंग से उनके सर्वांगीण विकास हेतु प्रयासरत है. नेपाल दुनिया का एकमात्र हिन्दू राष्ट्र है और रहेगा जिसे प्रभावी ढंग से मान्यता केवल भारत देता है क्योकि यह हिन्दू संस्कृति का पोषक राष्ट्र है.
नेपाल जननी और भारत माता को परिभाषित करते हुए उन्होंने कहाँ कि हम धन्य है कि हमें जन्म देने वाली नेपाल की धरती और पालन-पोषण करने वाली भारत की धरती पर रहने का सौभाग्य मिला. भारत राष्ट्र जिसको राष्ट्र माता सीता के रूप मे पूजता है उनको जन्म देने का सौभाग्य नेपाल को प्राप्त है, इस नाते नेपाल और भारत की संस्कृति एक है.
नेपाली संस्कृति परिषद, गुजरात इकाई के सचिव डॉ. दीपक कोइराला ने कार्यक्रम के आयोजन पर प्रकाश डालते हुये कहाँ कि नेपाल के आदि कवि भानुभक्त ने संपूर्ण नेपाल को एकता के सूत्र में बांधकर नेपाली भाषा को राष्ट्रभाषा के रूप में प्रतिष्ठित किया. रामायण को नेपाली भाषा में लिखकर एक अविस्मणीय कार्य किया है यह समाज और राष्ट्र उनके इस योगदान पार उनको नमन करता है.
कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि नेपाली संत श्री चैतन्य महाराज ने कहाँ कि हम सभी नेपालवासी अपने खान-पान मे सुधर करे क्योंकि खान-पान के अनुसार ही व्यक्तित्व का निर्माण होता है.
नेपाली संस्कृति परिषद, के प्रांत अध्यक्ष श्री प्रतापसिंह बुढा ने परिषद का कार्यविवरण प्रस्तुत किया.