परम पूज्य सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने बाली समेत विश्व के कई देशों के लोगों को रुद्राक्ष देकर किया सम्मानित

ऋषिकेश/देहरादून सीवर के गन्दे पानी को शुद्ध कर उससे हरीतिमा संवर्द्धन का प्रयोग करके पार्कों को हरा-भरा बनाने की गंगा एक्शन परिवार-परमार्थ निकेतन के हरित पार्क योजना का संघ प्रमुख मोहन राव भागवत ने 20 नवम्बर को विधिवत शुभारंभ किया. इसके पूर्व पार्क में पहुँचने पर आचार्य संदीप शास्त्री की अगुवाई में ऋषिकुमारों ने वेद मन्त्रों के साथ संघ प्रमुख का स्वागत किया. मोहन भागवत ने रिबन खोलकर स्वामी चिदानन्द सरस्वती के साथ पार्क में प्रवेश किया और प्रस्तावित योजना को देखा. उन्होंने पार्क परिसर में रुद्राक्ष का एक पौधा भी रोपा और देववृक्ष के इस पौधे की आरती उतारी.

इस मौके पर श्री सुजी गेडे के नेतृत्व में बाली से आये 29 सदस्यीय दल के अलावा अमेरिका एवं मैक्सिको के भी अनेकों लोग मौजूद थे. संघ प्रमुख ने उन सभी को भारत के पवित्र रुद्राक्ष का दाना भेंटकर भारत भूमि पर उनका सम्मान किया.

परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष, गंगा एक्शन परिवार के प्रणेता स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने इस मौके पर कहा कि बायोडायजेस्टर आधारित इको फे्रन्डली जैविक शौचालयों के निर्माण से पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में एक बड़ी क्रान्ति खड़ी की जा सकती है तथा मल-जल का उपयोग करके देश भर में हरीतिमा संवर्द्धन का अभियान चलाया जा सकता है. बताया कि परमार्थ निकेतन के मुख्य द्वार के समीप इस हरित पार्क में विशेष पौधों से प्रदूषित जल का शोधन करने की भी योजना बनाई गयी है. पार्क को समीप में बने जैविक शौचालय से पाईप लाईन के जरिए जोड़ा गया है. स्वामी जी ने संघ प्रमुख के मस्तक पर तिलक करके परमार्थ आश्रम से विदा किया और देश-दुनिया में भारतीय संस्कृति की सुगन्धि फैलाने के लिए अपनी शुभकामनाएँ दीं.

विदाई पूर्व स्वामी जी ने संघ प्रमुख को आईएचआरएफ द्वारा प्रकाशि त हिन्दू धर्म विश्वकोष भी भेंट किया. भागवत ने विश्वकोष के रूप में एक अमूल्य सम्पदा विश्वभर को देने के लिए स्वामी चिदानन्द सरस्वती की सराहना की. इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तराखण्ड प्रांत के प्रांत प्रचारक डां हरीश रौतेला, यमकेश्वर विधायक श्रीमती विजय बड़थ्वाल, स्वर्गाश्रम-जौंक की नगर पंचायत अध्यक्ष श्रीमती शकुन्तला राजपूत समेत परमार्थ निकेतन परिवार एवं संघ परिवार के कई सदस्य एवं परमार्थ गुरुकुल के ऋषि कुमार उपस्थित थे.

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