नई दिल्ली. भारत नीति प्रतिष्ठान द्वारा “आईएसआईएस – आधुनिक विश्व के लिए उभरता खतरा” विषय पर मंगलवार शाम को संगोष्ठी का आयोजन किया गया. प्रतिष्ठान के मानद निदेशक प्रो राकेश सिन्हा ने आईएसआईएस जैसे बर्बर जिहादी गुट के कारण विश्व के लिये उत्पन्न हो रहे संकट की संक्षिप्त चर्चा की और कहा कि आधुनिक और उदारवादी विचारों के विश्व के लिये आईएसआईएस जैसे समूह एक गम्भीर चुनौती हैं. इस खतरे का सामना करने के लिये समाज में मजहब के स्थान को भलीभांति समझना और उस पर बहस करना जरूरी है. इस अवसर पर भारत नीति प्रतिष्ठान द्वारा प्रकाशित पुस्तिका“आईएसआईएस – आधुनिक विश्व के लिए उभरता खतरा” का भी विमोचन किया गया.
इंटेलीजेंस ब्यूरो के विशिष्ट निदेशक डीसी नाथ ने वक्ताओं का परिचय देकर आईएसआईएस के खतरे पर संक्षिप्त प्रकाश डालते हुए भारत पर उसके सम्भावित प्रभाव और उसके निवारण के लिये उठाए जाने वाले कदमों पर चर्चा की.
जामिया मिलिया इस्लामिया में पश्चिम एशिया मामलों की अध्यापिका डॉ सुजाता ऐश्वर्य चीमा ने कहा कि आईएसआईएस जैसे जिहादी गुट “समय के अन्त” और “महानायक की विजय” और “धरती पर इस्लाम की पूर्ण हुकूमत” जैसी विचारधाराओं को मानते हैं, किन्तु उनकी असली दिलचस्पी अब लूट और बलात्कार में है. इसके बावजूद कई नौजवान उसकी मजहबी अपील से आकर्षित होकर जिहाद में भाग लेने के लिये आईएसआईएस से जुड़ने लगे हैं, जिसे गम्भीरता से लेना होगा. डॉ चीमा ने कहा कि भारत के लिये कोई बड़ी सामरिक चुनौती बनने की आईएसआईएस की क्षमता नहीं है और उसका टूटकर बिखरना तय है.
जाने माने सुरक्षा विशेषज्ञ मरूफ रजा ने भारत नीति प्रतिष्ठान का विषय पर पुस्तिका प्रकाशित करने के लिए अभिवादन करते हुए कहा कि आईएसआईएस इस्लाम का अपने बर्बर इरादों के लिये घोर रूप से अनुचित इस्तेमाल कर रहा है. मरूफ रजा ने पाकिस्तान को झूठ की बुनियाद पर खड़ी एक इमारत की संज्ञा देते हुए कहा कि भारत का प्रारूप पारदर्शिता और उदारता पर विकसित है और यही मुसलमानों सहित संसार के लिए एक आदर्श हो सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि आईएसआईएस यदि भारत की सेना से टकराने की कोशिश करेगा तो मुंह के बल गिरेगा.
डॉ राजीव नयन ने आईएसआईएस द्वारा परमाणु सामग्री हथियाने के प्रयासों पर संक्षिप्त प्रकाश डाला. डॉ गिरिजेश पन्त ने आईएसआईएस के खतरे को समझने के लिए एक सन्तुलित विश्लेषण की मांग की और उसके उदय के लिये अमरेका की पश्चिम एशियाई नीतियों को मुख्य रूप से दोषी ठहराया.
जाने माने कैनेडियायी लेखक व टिप्पणीकार तारेक फतह ने दो टूक शब्दों में कहा कि अब लफ्फाजी और लीपापोती का समय बीत चुका है और भारत सहित सभ्य विश्व को आईएसआईएस और इस्लामी जिहाद के खतरे को मान लेना चाहिए. पाकिस्तान के बारे में तारेक फतह ने कहा कि पाकिस्तान भी आईएसआईएस का ही रूप है. उन्होंने पाकिस्तान के प्रति भारत की पहल के बारे में कहा कि “अमन” का सारा प्रयास व्यर्थ है, क्योंकि पाकिस्तान का निर्माण ही भारत और हिन्दुओं से घृणा के आधार पर हुआ है और भारत को शुरू से ही पाकिस्तान के अस्तित्व को मान्यता नहीं देना चाहिये था. फतह ने भारत से अनुरोध किया कि वह बलोचिस्तान को स्वतन्त्र करने की मुहिम का खुलकर साथ दे. आईएसआईएस के विरुद्ध संघर्ष को तारेक फतह ने मानव सभ्यता की लड़ाई की संज्ञा दी और कहा कि भारत ही सही अर्थ में इस संकट को समाप्त करने की क्षमता रखता है.