ब्रह्मांड के ज्ञाता स्टीफन हॉकिंग – जन्म दिवस 8 जनवरी, 1942

76 साल जीने वाले स्टीफन हॉकिंग जब 21 की उम्र में एकियोट्रॉपिक लेटर्ल स्केलोराइसिस (एएलसी) बीमारी से ग्रस्त हुए तो डॉक्टरों ने कहा कि वो दो साल से ज्यादा नहीं जी पाएंगे. इसके बाद भी उन्होंने 55 साल और जीकर दिखाया. इस दौरान वह पूरी दुनिया में घूमे. बोल नहीं पाने के बाद भी लेक्चर दिए. ऐसे शोध किए, जिसने अंतरिक्ष को लेकर लोगों की सोच बदल डाली. उन्होंने बेस्ट सेलर किताबें भी लिखीं. वह मानवीय दिमाग की मजबूती के प्रतीक भी थे. लोग हैरान होते थे कि एक अपंग शख्स इतनी ढेर सारी चीजें कैसे कर सकता है.

मशहूर ग्रीक फिलास्फर हेरो डोट्स का कहना है, “प्रतिकूलता हमारी मजबूतियों को सामने लाती है. जब आप अपनी सबसे बड़ी चुनौती के सामने सकारात्मक होते हैं और संरचनात्मक तरीके से रिस्पांस देते हैं तो एक खास किस्म की दृढ़ता, मजबूती, साहस, चरित्र, जो आपमें ही निहित होता है. भले ही आपको उसका अहसास नहीं हो, वह आपको निखारने लगता है. “

स्टीफन हॉकिंग के जीवन की वो बातें, जिससे हम सभी लोग सीख सकते हैं

1. अपंगता से उबरने के लिए तकनीक का सहारा लें

इंटेलिजेंस में वो क्षमता होती है कि वो किसी भी बदलाव के साथ तालमेल बिठा ले. उन्होंने हमें बताया कि तकनीक किस तरह हमारा जीवन बदल सकती है. वह एक विशेष मोटर से संचालित व्हील चेयर से मूव करते थे. व्हील चेयर से जुड़े स्पीच सिंथसाइजर से बोलते थे. व्हील चेयर से लगे कंप्यूटर मॉनिटर के जरिए बहुत कुछ समझाते थे. उन्होंने कंप्यूटर तकनीक और इंटरनेट का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया.

2. अपंगता कभी राह में आड़े नहीं आती वो हमेशा कहते थे, “मेरी सलाह विकलांग लोगों से है कि हमेशा जो आप करना चाहते हैं, उसपर ध्यान लगाएं, आपकी अपंगता आपको कभी बेहतर करने से नहीं रोक सकती. कभी अपनी स्थिति पर अफसोस मत करिए. अपने जोश को कम मत होने दीजिए.”

3. हमेशा जिज्ञासु बनो
वह कहते थे- “हमेशा सितारों की ओर ऊपर देखो न कि अपने पैरों की ओर. ये सोचो कि ये दुनिया ऐसी क्यों है. ब्रह्मांड कैसे है. हमेशा जिज्ञासु बने रहो”. उनमें हमेशा एक बच्चे की तरह जिज्ञासा बनी रही. वह हमेशा सवाल पूछते थे – क्यों और कैसे.

4. हमेशा विनोदी स्वाभाव के बने रहो
स्टीफन हॉकिंग ने कहा-सक्रिय दिमाग हमेशा मेरे बने रहने की वजह रहा, इससे मैं हमेशा अपना सेंस ऑफ ह्यूमर बनाए रख सका. उन्हें जानने वाले कहते हैं कि वो हमेशा मजाकिया रहे.

5. हमेशा सिद्धांतों पर टिके रहो
“कोई फिजिक्स में प्राइज लेने के इरादे से रिसर्च नहीं करता. बल्कि इस आनंद के लिए करता है कि वो नई चीज की खोज कर रहा है, जिसके बारे में इससे पहले कोई नहीं जानता है” – स्टीफन हॉकिंग.
अपने पूरे जीवन के दौरान वह हमेशा इस बात को लेकर चिंतित रहा करते थे कि साइंस रिसर्च के लिए न केवल फंड कम हैं बल्कि साइंस रिसर्च और ब्रिटेन में पढ़ाई के लिए फंडिंग में कुप्रबंधन की स्थिति भी. जब उन्होंने नाइटहुड की उपाधि दी गई तो उन्होंने सिद्धांतों के आधार पर इसे ठुकरा दिया.

6. कभी हार मत मानो
ब्लैक होल पर नई थ्योरी देने से कुछ महीनों पहले उनके काम की बहुत आलोचना हो रही थी लेकिन वो डटे रहे. उन्होंने जब ब्लैक होल की रिसर्च को सामने रखा, तब भी उनकी हंसी उड़ाई गई और इसे माना नहीं गया लेकिन वो अपनी बात दृढ़ रहे. बाद में इसे सबने माना.

7. समय कीमती है, इसका उपयोग करो
वह समय को बर्बाद करने से घृणा करते थे. उन्होंने समय पर रिसर्च की थी. उन्होंने अपनी ये रिसर्च इस टिप्पणी के साथ खत्म की कि घड़ी को वापस पीछे घुमाना असंभव है. संदेश साफ था कि हम पैसा बना सकते हैं लेकिन गया हुआ समय कभी वापस नहीं लौटता, इसलिए हमें बुद्धिमानी से इसका उपयोग करना चाहिए.

8. अपनी जानकारी बांटो
वो जानकारियों के आदान प्रदान में विश्वास रखते थे. मसलन उन्होंने ये दिखाया कि फिजिक्स कोई गूढ़ विषय नहीं है बल्कि एक सामान्य व्यक्ति के लिए भी उसे समझना आसान है. वह ज्ञान को बांटने में विश्वास रखते थे.

साभार – News18 

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