भारत का एक ही लक्ष्य है “कृण्वंतो विश्वमार्यम” – जे. नंदकुमार

जयपुर, 18 नवंबर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख जे. नंदकुमार ने कहा कि भारत का एक ही लक्ष्य है “कृण्वंतो विश्वमार्यम” अर्थात् विश्व श्रेष्ट बनाना यह पहले से ही स्पष्ट है। इसे पूरा करने के लिए हमारा अभियान सदियों से चल रहा है। बीच में इसमें कुछ गतिरोध आ गए थे। इन्हें हटाने और राष्ट्र को परमवैभव पर ले जाने के लिए डॉ. हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की।

नंदकुमार मंगलवार को राजस्थान विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग में पत्रकारिता के विद्यार्थियों से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि शक्तिशाली देश बनाने के लिए समाज परिवर्तन जरूरी है। संस्कारित समाज के आधार पर राष्ट्र को परम वैभव पर लाना है। समाज परिवर्तन की पहली सीढ़ी व्यक्ति निर्माण है। उन्होंने कहा कि समाज को सुदृढ किए बिना, सत्ता के माध्यम से देश को शीर्ष पर नहीं पहुंचाया जा सकता। इसलिए समाज के सभी क्षेत्रों में काम करते हुए समाज को आगे लाने का काम ही संघ कर रहा है।

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उन्होंने छात्रों से चर्चा करते हुए कहा कि आज समाज, संगठन और राष्ट्र वैभव में मीडिया की बड़ी भूमिका है। इसलिए मीडिया को समाज के सामने सच लाना चाहिए। लेकिन आज समाचार न्यूज उत्पाद बन गई है, कथित

मीडिया द्वारा इसे आकर्षक बनाने के लिए थोड़ा झूठ का कलर मिलाकर इसे संवेदनशील बनाया जाता है। उन्होंने कहा कि आजादी से पहले मीडिया और पत्रकार, लोगों के आदर्श हुआ करते थे, उनमें सादगी, समर्पण और जीवन मूल्य थे। आजादी के बाद मीडिया का स्वरूप बदला है। प्रतिस्पर्धा बढ़ी है लेकिन यह स्वस्थ नहीं रही।

उन्होंने कहा कि मीडिया में नकारात्मक खबरों को ज्यादा महत्व मिलता है। जबकि व्यक्ति और समाज को प्रेरित करने वाली खबरें कम होती है। राष्ट्रीय विचारों और समाज के लिए हितकारी समाचारों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए।

नंदकुमार ने इस दौरान छात्रों के कई सवालों के जबाव भी दिए।

इस अवसर पर पत्रकारिता विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. संजीव भानावत, प्रांत प्रचारक शिवलहरी, प्रांत प्रचार प्रमुख महेन्द्र सिंहल, विश्व संवाद केन्द्र के सचिव विवेक कुमार, प्रताप यूनवर्सिटी के पत्रकारिता विभागध्यक्ष डॉ. योगेश शर्मा और बड़ी संख्या में पत्रकारिता के विद्यार्थी मौजूद थे।

                                                                                                     साभार – विश्व संवाद केंद्र, जयपुर

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