भारत परिक्रमा यात्रा के 1000 दिन पूर्ण. श्री मोहनजी भागवत ने शुभकामना व्यक्त की.

9 अगस्त, 2012 को कन्याकुमारी से भारत परिक्रमा यात्रा पर निकले ​श्री सीतारामजी केदिलाय ने​ 1000 दिन में  लगभग ​12,150 कि.मी. की यात्रा पुरी कर आज 5 मई को असम मे गुवाहाटी के पास तेजपुर जिले  में  प्रवेश किया। जहां ग्रामवासिओ ने उनका भक्ति पूर्वक स्वागत किया। 09, 2012 को कन्याकुमारी से ग्रामोत्थान के उद्देश्य के साथ श्री सीतारामजी ने यह यात्रा प्रारंभ की थी. असम उनकी यात्रा का 15वाँ राज्य है. अरुणाचल प्रदेश सहित पूर्वोत्तर राज्यों में श्री सीतारामजी दिसंबर 2015 तक यात्रा करेगे.  तत्पश्चात दक्षिण बंग प्रांत तथा ओडिशा में उनकी यात्रा रहेगी.

श्री मोहनजी भागवत का शुभकामना संदेश.

स्वदेश को आराध्य देव मानकर समाज निरिक्षण तथा समाज जागरण करने के लिए परिव्रज्या करने की परंपरा भारत में प्राचीन काल से रही है.  उसी से प्रेरणा लेकर संघ के सेवा विभाग के दायित्व से मुक्त होने के पश्चात् श्री सीताराम केदिलाय ने भारत परिक्रमा का संकल्प किया. कन्याकुमारी में श्रीपाद शिला के दर्शन से प्रारंभ कर प्रतिदिन पैदल चलते हुए पश्चिमी घाट, पश्चिमी सागर सीमा तथा काश्मीर तक की पश्चिमी स्थल सीमा से उत्तरी सीमा में हिमालय की तराई में बसे ग्रामों से निकलते हुए हजार दिन पूर्ण कर अब वे पूर्व के असम क्षेत्र में आ गए हैं.

 एक हजार दिनों की यह दुर्गम यात्रा ठीक अपने उद्देश्य के अनुसार पूरी करने का परिश्रम करना अपने आप में एक अभिनंदनीय कार्य है.  अब भारत के पूर्व व दक्षिण-पूर्व के क्षेत्रों में चलकर वे इस प्रदक्षिणा को सफलतापूर्वक पूर्ण करेंगे, इसमें किसीको अविश्वास का कोई कारण नहीं रहा.

सीताराम जी का यह प्रयास मात्र पैदल चलने का एक और विश्व विक्रम करने के लिए नहीं है.  “ आत्मनो मोक्षार्थं जगद्धिताय च  ”  इस यात्रा में उन्होंने ग्रामवासियों से घुलमिल कर भारत की पुण्य सनातन व नित्य नूतन संस्कृति के अनुसार आज की परिस्थिति में गौ, ग्राम व प्रकृति आधारित जीवन कैसे जीना इसका उपदेशन करते हुए अनेक ग्रामों में उस सत्याधारित व सात्विक धर्म-जीवन का आचरण प्रवर्तन भी किया है.  

भारतीय समाज तथा स्वनिर्मित समस्याओं में लड़खड़ाती हुई मानवता के लिए यह एक अत्यंत समयोचित व उपयुक्त कार्य है.  श्री सीताराम जी उर्वरित यात्रा को दृढ़संकल्प पूर्वक पूर्ण यशस्वी करेंगे, यह शुभकामना और विश्वास तो है ही; उनके इस यात्रा में सहयोगी व सहायक होते हुए यात्रा के मार्ग में स्थित सभी कार्यकर्ता व जन- समाज इस यात्रा के बहुजन हिताय के सन्देश को स्वयं के आचरण से शतगुणित प्रचारित व प्रसारित करें, यह हम सबके सामने कर्त्तव्य है.  इस कर्तव्य को निभाने की सुबुद्धि व शक्ति हम सभी को प्राप्त हो इस प्रार्थना के साथ मैं श्री सीताराम जी की यात्रा के सम्पूर्ण, सुफल व सफलता की शुभकामना पुनः एक बार व्यक्त करता हूँ .

 ( मोहन भागवत )

दिनांक- 30-4-2015                                                            

 

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