देहरादून (विसंकें). भारत – नेपाल के बीच रक्षा एवं सुरक्षा संबंधी मामलों पर बोलते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले जी ने कहा कि भारत – नेपाल का संबंध अत्यंत प्राचीन है. हम लोग सांस्कृतिक, सामाजिक, परम्पराओं, धार्मिक व आध्यात्मिक रूप से एक हैं. हम एक दूसरे के यहां धार्मिक यात्रा करते हैं. हमारे धार्मिक ग्रंथ व महाकाव्य एक हैं. इसलिए हमारे संबंध इसी आधार पर मजबूत हैं. सह सरकार्यवाह जी बुधवार को फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट देहरादून में अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद, भारत और नीति अनुसंधान प्रतिष्ठान, नेपाल के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि सभ्यता, ऐतिहासिकता के रूप से भी हम एक हैं. हमारा रोटी-बेटी के संबंध से ही नहीं, उससे आगे का संबंध है. स्वामी विवेकानंद जी ने कहा है कि मनुष्य ही समस्या है, मनुष्य ही समाधान है. इसलिए हमारे संबंध, हमारा समन्वय प्रत्येक क्षेत्र में अच्छा रहे, मजबूत रहे और विश्वसनीय बना रहे. इसके लिए हर परिस्थितियों में हमको मिलकर दृढ़ विश्वास के साथ संशय रहित होकर कार्य करना होगा. दत्तात्रेय जी ने कहा कि सन् 1947 में भारत का विभाजन हुआ. पाकिस्तान और फिर बांग्लादेश बने. इन दोनों ने अपनी संस्कृति बदली, रास्ता बदला, रिलिजन के आधार पर अपने को अलग किया और भारत के साथ सीमाएं बंद कर दीं. इसलिए उन दोनों देशों के साथ हमारे संबंध बदले, किन्तु भारत और नेपाल ने ऐसा नहीं किया. अलग राष्ट्र होने पर भी सीमाएं खुली रखीं. एक दूसरे पर विश्वास करते हुए समन्वय बना कर हर क्षेत्र में आगे बढ़ते रहे. रक्षा-सुरक्षा के क्षेत्र में तथा खुली सीमा पर मिलकर व समन्वय बनाकर विकास कर रहे हैं और आगे भी दृढ़ विश्वास के साथ विकास कार्य करते रहेंगे. सुरक्षा के विषय में भारत में आतंकवाद को रोकने के लिए भूटान और म्यांमार में वहां की सरकार के सहयोग से कार्रवाई की गई. ऐसी ही अपेक्षा इस संबंध में नेपाल से भी रहेगी.
उन्होंने कहा कि हमें मातृशक्ति को कमजोर न समझकर उसे भी आगे बढ़ाना होगा. उन पर विश्वास करना होगा. विषयों की चर्चा में उनका उल्लेख करना होगा और उनसे सहयोग लेना होगा. हमारी नियति, भूमिका हमारा मिशन एक है.
इस अवसर पर कार्यक्रम के अध्यक्ष पूर्व भारतीय राजदूत नेपाल रंजीत रे जी, विशिष्ट अतिथि जनरल गौरव शमशेर जंग बहादुर राणा जी (अवकाश प्राप्त) पूर्व सेनाध्यक्ष नेपाल, शशांक जी पूर्व विदेश सचिव भारत, अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद के महासचिव श्याम परांडे जी आदि उपस्थित थे. कार्यक्रम के अंत में दयानंद चंदोला जी ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया.