वि. सं. केंद्र, गुजरात – सामाजिक समरसता मंच, गांधीनगर, गुजरात द्वारा भारत रत्न डॉ. भीमराव आंबेडकर जी कि 125वी जन्म जयंती के शुभारंभ अवसर पर टाउन हॉल में आयोजित कार्यक्रम में सर्वप्रथम डॉ. जयंतीभाई भाड़ेसिया (पश्चिम क्षेत्र संघचालक, रा. स्व. संघ) तथा श्री प्रकाशभाई परमार, प्रमुख – सामाजिक समरसता गतिविधि, गुजरात प्रांत द्वारा डॉ. आंबेडकर जी की प्रतिमा को पुष्पांजलि अर्पित की गई तत्पश्चात पांचजन्य हिंदी साप्ताहिक के डॉ. आंबेडकर विशेषांक का विमोचन किया गया.
इस अवसर पर बोलते हुए डॉ. जयंतीभाई भाड़ेसिया (पश्चिम क्षेत्र संघचालक, रा. स्व. संघ) ने कहाँ कि डॉ. आंबेडकर जी को बचपन से ही सामाजिक अन्यायो का सामना करना पड़ा, इन्ही अन्यायों ने उन्हें महापुरुष बनने की प्रेरणा दी. महात्मा बुद्ध की जीवनी से प्रेरणा प्राप्त कर डॉ. आंबेडकर आगे बढ़े उन्हें सामाजिक व् आर्थिक क्षेत्र में अनेक संघर्ष करने पड़े लेकिन अपने संघर्षो के समय डॉ. आंबेडकर ने राष्ट्रहीत सर्वोपरि रखा. राष्ट्र टूटना नहीं चाहिए इस बात का उन्होंने सदैव ध्यान रखा.
डॉ. आंबेडकर ज्ञाति विशेष के नेता नहीं थे वरन मार्टिन ल्युथर किंग की तरह पूरा विश्व स्वीकार करे ऐसी उनकी प्रतिभा थी. धर्म परिवर्तन के समय मुस्लिम एवं क्रिश्चियन की संकुचितता को ठीक तरह से समझ दोनों के प्रस्तावों को ठुकराकर उन्होंने बौद्ध धर्म अपनाया.
थॉट्स ओन पाकिस्तान पुस्तक में अपने विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने लिखा कि पाकिस्तान तृष्टिकरण के कारण ही बना है. कश्मीर के भारत के पास ही रहना चाहिए ऐसा उनका मानना था. इस विषय पर डॉ. आंबेडकर जी ने उस समय के नेता शेख अब्दुल्ला से बात भी की थी.
आरक्षण के विषय में डॉ. आंबेडकर का स्वपन था कि ऐसी स्थिती का निर्माण हो कि आरक्षण कि आवश्यकता ही न रहे. पूरा समाज समरस बने यही उनका स्वप्न था. अंत में डॉ. भाड़ेसिया ने कहा कि समाज में मानवीय गुणों का विकास ही सांस्कृतिक राष्ट्रवाद है. रा. स्व. संघ प्रेरित सामाजिक समरसता मंच इसी दिशा में कार्य कर रहा है.
इस अवसर पर सामाजिक समरसता गतिविधी, गुजरात के प्रमुख श्री प्रकाश भाई परमार, श्री अश्विनभाई गाँधी सहित अनेक गणमान्य महानुभाव उपस्थित रहे.