मान. श्री एकनाथजी रानडे जन्मशती पर्व

विवेकानंद शिला  स्मराक, कन्याकुमारी के सर्जक और विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी के संस्थापक मान. श्री एकनाथजी रानडे जन्मशती पर्व का प्रांतस्तरीय उदघाट्न समारोह अहमदाबाद में दि. 15. 11. 2014, शनिवार को आयोजित किया गया.

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इस अवसर पर अतिथिविशेष डॉ. अमृतभाई कड़ीवाला (प्रांत कार्यकारिणी सदस्य, रा. स्व. संघ, गुजरात) ने मान. श्री एकनाथजी के साथ अपने संस्मरण याद करते हुए बताया कि ” एकनाथजी की स्मरण शक्ति अदभुत थी उनका व्यवहारिक और आध्यात्मिक जीवन उच्च कोटि का था. एकनाथजी कहते थे ” पवित्र बनो और तुम्हारे अंदर जो कुछ है उसका अन्य में सिंचन करो. वे कहा करते थे के सफलता के लिए 10 % प्रेरणा और 90 % परिश्रम जरुरी है साथ ही चित्त, वाणी और व्यवहार में एकरूपता होना जरुरी है.”

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डॉ. जयंतीभाई  भाडेसिया (मान. प्रांत  संघचालक, रा. स्व.  संघ-गुजरात) ने  अपने उदबोधन में  कहा कि मान. श्री  एकनाथजी कोई भी  कार्य पूर्ण उत्कृष्टता  के साथ करते थे और  उसमे सभी की  सहभागिता रहती  थी. उनके गुणों को  अपने जीवन मैं उतारे  यही उनके शताब्दी  वर्ष की सार्थकता  होगी।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता  मा. निवेदिता भिड़े (उपाध्यक्षा, विवेकानंद केंद्र, कन्याकुमारी) ने कहाँ मा. एकनाथजी को राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ में जीवन की दिशा मिली एकनाथजी कहते थे जीवन में श्रेष्ठता को खोजो. वे कभी भी समस्याओ से घबराते नहीं थे और कोई भी कार्य अत्यंत उत्कृष्टता के साथ करने का आग्रह रखते थे. एकनाथजी अत्यंत कुशल संगठक, किसी भी कार्य के प्रति पूर्वग्रह से हमेंशा मुक्त, अहंकार से पूर्णतया मुक्त थे. वे एक महामानव थे.  निवेदिता दीदी ने अपने उदबोधन में शिला स्मारक के निर्माण के समय आई बाधाओ तथा एकनाथजी द्वारा उन बाधाओं कुशलता से उनका निराकरण किया उसका विस्तृत वर्णन किया। दीदी ने कहाँ ” सेवा ही साधना” यही एकनाथजी का मूलमंत्र था. विवेकानंद केंद्र, गुजरात द्वारा एकनाथजी जन्मशती पर्व के अवसर पर प्रकाशित पांच पुस्तको का विमोचन निवेदिता दीदी द्वारा किया गया.मान.एकनाथजी जन्मशती पर्व के इस कार्यक्रम मैं  डॉ. कमलेश उपाध्याय (मान.एकनाथजी जन्मशती पर्व, प्रमुख- गुजरात प्रांत) तथा श्री विनोदभाई त्रिवेदी (प्रांत संचालक, विवेकानंद केंद्र-गुजरात) सहित बड़ी संख्या मैं गणमान्य महानुभाव उपस्थित रहे.
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