यदि कर्ण को नहीं सम्भालोगे तो वो दुर्योधन के साथ मिल कर महाभारत रचेगा – साध्वी ऋतंभरा

जालंधर (विसंकें). अपनों को सम्भालो, वे बिखरने नहीं चाहिए. अगर कर्ण को सम्भालोगे नहीं तो वो दुर्योधन के साथ मिल कर महाभारत रचेगा. हमारी भूमि महान है, लेकिन भूमिका भी महान होनी चाहिये. आपसी बिखराव के कारण ही धर्मांतरण करने वालों को मौका मिल जाता है. साध्वी ऋतंभरा दीदी ने विश्व हिन्दू परिषद की स्थापना के स्वर्ण जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में विश्व हिन्दू परिषद-बजरंग दल द्वारा चंडीगढ़ इकाई द्वारा आयोजित विराट हिन्दू सम्मेलन में रविवार को रामलीला मैदान सेक्टर-27 में संबोधित किया.

विशाल जनसमुदाय को संबोधित करते हुए साध्वी ऋतंभरा दीदी ने कहा कि अयोध्या में श्रीराम जी का मंदिर अवश्य बनेगा. जीवन में रंग तभी चढ़ेगा, जब मेहंदी की तरह पिसना सीख जाओगे. सूई की पीड़ा फूल सहते हैं तो माला बनती है, इसलिये फूलों की तरह सहना सीखें. विपत्तियों से कायर घबराते हैं. माँ भारती के जो सूरमा बहादुर होते हैं, वह विपत्तियों में धैर्य नहीं गंवाते. जिंदगी नदी के प्रवाह जैसी होती है रास्ता खुद बनाना पड़ता है. हिंदू धर्म परंपरा का निर्वाह करिये, व्रत रखिये, तिल का ताड़ मत बनाइये, तो एक चुटकी में समाधान हो जाएगा. अपनों को कभी भुलाया नहीं जा सकता, उन्हें गले लगाना ही समाधान है. उन्होंने कहा कि मरने के बाद जूते दान इसलिए करते हो ताकि स्वर्ग में भी पैदल न चलना पड़े. अगर आपके कर्म अच्छे होंगे तो स्वर्ग धरती पर ही उतर आएगा. अंदर नास्तिकता है और ऊपर से आस्तिकता का दिखावा किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हिंदुओं पर अत्याचार हुए कितना महत्व दिया गया, सभी जानते हैं. गौ हत्या, कन्या भ्रूण हत्या पर दुख व्यक्त करते कहा कि बेटियों की हत्या स्वयं की हत्या है. लोगों को चाहिये कि लड़का और लड़की में कोई फर्क ना करें. उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति हमेशा स्त्री और माता-पिता का सम्मान करना सिखाती है. गौ हत्या और दुर्गा जैसी बेटियां मारी जाती रहेंगी तो कल्याण नहीं होगा. सभी को मिल कर गऊ माताओं और बेटियो को बचाना होगा.

मुख्य वक्ता के तौर पर उपस्थित साध्वी ऋतंभरा ने विराट हिन्दू सम्मेलन के सूत्र वाक्य, धर्मो रक्षति रक्षित का अर्थ समझाते हुए कहा कि प्रकृति संयमित जीवन जीना भी धर्म की रक्षा करने के समान है जो अंतत: स्वयं की रक्षा करता है. साध्वी ने कहा कि सरकारों के सामने क्यों गिड़गिड़ाते हो. गाय की नस्ल सुधारो. सभी अपनी भूमिका निभाएं. समाज में वृद्ध आश्रम खोलने पर भी उन्होंने दुख जताया. कहा, बुजुर्गों से प्यार करो. नशा करो तो देश भक्ति का, रोती हुई आंखों के आंसू पोंछने का नशा करो. प्रकृति की रक्षा नहीं करेंगे तो स्वयं भी नहीं बचेंगे. पश्चिम से आयी बुराइयों से दूर रहने व इन बुराइयों को जड़ व जीवन से उखाडऩे का आह्वान किया.

हजारों की तादाद में शहर के विभिन्न हिस्सों से आए लोगो ने सम्मेलन में भाग लिया. देश व पंजाब प्रांत के अनेक संतों तथा रजनी, स्वामी अतुल कृष्ण, मालती शर्मा, साध्वी निरंजन, साध्वी शिरोमणि और इंटरनेशनल ब्रह्मर्षि मिशन की तरफ से डा. दिनेश ने भी विचार रखे तथा देश में सोशल मीडिया के बढ़ते दुरुपयोग, टूटते परिवार, लोगो में बढ़ते भौतिकतावाद तथा संवेदनहीन हो रहे समाज जैसी बुराइयों पर जमकर प्रहार किया तथा उनसे बचने के उपाय सुझाए.

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