राष्ट्र सेविका समिति का आह्वान, चीनी उत्पादों का करें बहिष्कार

नई दिल्ली. राष्ट्र सेविका समिति मेधाविनी सिंधु सृजन (प्रबुद्ध वर्ग ) ने “स्वदेशी अपनाएं – चीनी उत्पादों का बहिष्कार करें” विषय पर किरोड़ीमल कॉलेज के सभागार में  विचार गोष्ठी का आयोजन किया. जिसमें मुख्य वक्ता डॉ. अश्विनी महाजन जी अखिल भारतीय सह संयोजक स्वदेशी जागरण मंच तथा अन्य वक्ता राजकुमार भाटिया जी पूर्व अध्यक्ष, नेशनल टीचर डेमोक्रेटिक फ्रंट, किरण चोपड़ा जी निदेशिका पंजाब केसरी समूह, सुनीता भाटिया जी प्रांत कार्यवाहिका राष्ट्र सेविका समिति उपस्थित थे.

अश्विनी महाजन जी ने कहा कि चीन शक्तिशाली है, पूरी दुनिया में उसका दबदबा है और ड्रैगन सभी को दबाने का प्रयास कर रहा है. लेकिन भारत से उसका व्यापार लगातार बढ़ रहा है, ऐसी स्थिति में चीन युद्ध के बारे में सोचेगा भी नहीं. इसी कारण हमारे रक्षा एवं  वित्त मंत्री अरुण जेटली ने चीन का कड़े शब्दों में विरोध किया है और कहा है कि भारत अब 1962 का भारत नहीं है. चीन भारत का हर स्तर पर विरोध करता है चाहे मसूद अजहर की बात हो या एनएसजी. चीन की एक नीति है बात-बात पर पिन लगाना ताकि कोई भी मुद्दा चलता रहे. इतिहास गवाह है कि चीन ने 1962 को छोड़कर पूरी दुनिया में कोई भी युद्ध नहीं जीता है.

राजकुमार भाटिया जी ने कहा कि भारत को क्लोज्ड इकोनॉमी बनना चाहिए ताकि देश के उद्योग-धंधों को हम जिंदा रख सकें. चाहे स्वदेशी उत्पाद कुछ महंगे हों, लेकिन तब भी विदेशी उत्पादों का मोह छोड़कर हम स्वदेशी अपनाएं. यह विषय राष्ट्रहित से जुड़ा है. हर छोटे उत्पाद को खरीद कर भी हम देशभक्ति निभा सकते हैं.

कार्यक्रम की अध्यक्षा किरण चोपड़ा ने कहा कि महिलाओं के बिना कोई भी मिशन पूरा नहीं हो सकता है. यंग इंडिया की पहचान नारी है. रक्षाबंधन के समय भी महिलाओं ने ही भाइयों को मौली का धागा बांधकर स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा दिया है. मेधाविनी मंडल की प्रबुद्ध बहनें यदि कॉलेज के छात्रों को तर्क सहित चीनी उत्पादों के बहिष्कार की बात समझाएंगी तो हम चीन को आर्थिक रुप से कमजोर तथा भारत को सबल बना सकते हैं.

प्रांत कार्यवाहिका सुनीता भाटिया जी ने राष्ट्र सेविका समिति के विषय में जानकारी दी. राष्ट्र सेविका समिति 80 साल पुरानी संस्था है जिसे लक्ष्मीबाई केलकर ने 1936 में नागपुर में स्थापित किया था. समिति स्त्री-पुरुष समानता तथा महिलाओं के शारीरिक, बौद्धिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक विकास के लिए अधिकतम योगदान की दिशा में काम करती है. समिति का मानना है कि महिलाएं मार्गदर्शक हैं तथा जीवन को दिशा देती हैं. समिति देशभर में अनेक सेवा कार्य चलाती है और इस समय ऐसे 52 प्रकल्प कार्यरत हैं. डॉ. निशा राणा ने मंच संचालन किया.

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