आचार्य अभिनवगुप्त सहस्त्राब्दी समारोह – अभिनव संदेश यात्रा
जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र, गुजरात और संस्कृत भारती, गुजरात के संयुक्त तत्वाधान में अहमदाबाद मे 5 अप्रैल, मंगलवार को आयोजित आचार्य अभिनवगुप्त सहस्त्राब्दी समारोह कार्यक्रम में बोलते हुए श्री आशुतोष भटनागर ( कार्यकारी निदेशक, जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र) ने कहाँ कि आचार्य अभिनवगुप्त का भारतीय जीवन मूल्यों मे अभूतपूर्व योगदान है. लेकिन भारत में ही अधिकतर लोग उनके विषय में अनभिज्ञ है. उन्होंने भारत को एक सूत्र में बाँधने का कार्य एक हजार वर्ष पूर्व किया.
आचार्य अभिनवगुप्त को याद रखना चाहिए था लेकिन हमने उन्हें भुला दिया. आज भी गोवा के सारस्वत ब्राह्मण, दक्षिण के नम्बुदरीपाद ब्राह्मण यह मानते है कि भूतकाल मे हमारा संबंध आचार्य अभिनवगुप्त से रहा है. हमने कश्मीर के भारत मे विलय को चर्चा का विषय बना दिया लेकिन यह भुला दिया कि जम्मू कश्मीर 15 अगस्त 1947 से पहले भारत मे ही था. हमने यह भुला दिया कि श्रीनगर को मगध के राजा ने बसाया वह मगध भारत मे ही था. हमारा संबध उस सिन्धु सभ्यता से रहा है सिन्धु नदी भारत के 450 किलोमीटर क्षेत्र से होकर बहती है.
हमने 370 के बारे मे फैली भ्रांतियों के विषय मे चर्चा की लेकिन यह जानने कि कोशिश नहीं कि वास्तव मे 370 मे क्या है? हमने अपने बच्चो को पाठ्य पुस्तक मे जम्मू कश्मीर के पहाड़ो, नदियों, नगरो के नाम कभी नहीं बताये. पाकिस्तान मे हमारा जो कश्मीर है उसके भूगोल, सभ्यता, संस्कृति के विषय मे हमें नहीं पता. इन सब को हमें भूलना नहीं चाहिए था लेकिन हमने यह सब भुला दिया. अब हमें उनके उत्तर खोजना है. कश्मीर केवल नक़्शे वाला कश्मीर नहीं है वहां हिन्दू, बौद्ध आदि भी रहते है.
LOC के उस तरफ के भारत की कल्पना हमारे दिमाग में नहीं आती है हमें नहीं मालूम कि LOC के उस तरफ भी हमारे लोग है जो पाकिस्तान के बंदी है. लद्दाख कि खबरे हमतक नहीं आती है. कभी मानसरोवर तक (जो आज चीन मे है) हमारी सीमा थी. सेनापति जोरावर सिंह जिन्होंने चीन और तिब्बत की संयुक्त सेना को 1842 मे हराया था और मानसरोवर के किनारे ही लड़ते-लड़ते शहीद हुए. उन्ही जोरावर सिंह के नाम से एक चौकी “जनरल जोरावर सिंह फोर्ट चौकी” जो 20 वर्ष पूर्व तक जो भारत की हुआ करती थी आज चीन के कब्जे मे है क्या हमें यह याद है ?
आज लाल चौक मे तिरंगा जलाया जाना समाचार मे आता है लेकिन चीन सीमा से सटे डेमचौक मे चीन के विरोध के सामने भी तिरंगा फहराया जाना समाचार नहीं बनता. अंग्रेजो की कूटनीति से भारत पाकिस्तान का बटवारा हुआ आज 70 वर्ष के बाद ब्रिटेन को अपनी भूल का अहसास हो रहा है इस वर्ष ब्रिटेन पार्लियामेंट में 26 अक्टूबर, 2016 को जम्मू कश्मीर विलय दिवस मनाया जायेगा.
श्री आशुतोष जी ने कहाँ कि जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र आचार्य अभिनवगुप्त पर शोध संशोधन कर रहा है और हम जैसे जैसे यह विषय लोगो के बीच ले जाते है इस विषय पर हमारे साथ नए लोग जुड़ते जा रहे है.
कार्यक्रम का शुभारंभ संस्कृत भारती के कार्यकर्ताओ ने वेद मंत्र से किया. श्री देवांग आचार्य (संयोजक, जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र, गुजरात) ने मंचस्थ महानुभावो का परिचय कराया. उसके बाद सुश्री शक्ति मुंशी (जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र, मुंबई) ने आचार्य अभिनवगुप्त सहस्त्राब्दी समारोह कार्यक्रम के कार्यक्रमों के विषय मे जानकारी दी. इस अवसर पर श्री सुरेशभाई पटेल ( मंत्री, (जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र, गुजरात), डॉ. वाचस्पति मिश्र ( प्रांत संयोजक, संस्कृत विद्वत परिषद, गुजरात), श्री शैलेषभाई पटेल (सह प्रांत कार्यवाह, रा. स्व. संघ, गुजरात) श्री मिहिरभाई उपाध्याय ( मंत्री, संस्कृत भारती, कर्णावती) सहित अनेक महानुभव उपस्थित रहे. कार्यक्रम का संचालन श्री देवांगभाई आचार्य( संयोजक, जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र, गुजरात) ने किया.