वर्तमान में भारत में बौद्धिक आतंकवाद चल रहा है – जे नंदकुमार जी

इंदौर. रविवार 06 दिसंबर को इंदौर में चित्र भारती फिल्मोत्सव के कार्यालय का शुभारम्भ एवं चित्रभारती फिल्म फेस्टिवल की वेबसाइट का लोकार्पण हुआ. कार्यक्रम में शहर के कई गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख जे नंदकुमार जी उपस्थित थे. उनके साथ कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय रायपुर के कुलपति डॉ. मानसिंग परमार, सह आयोजक देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर के कुलपति डॉ. आशुतोष मिश्रा, आयोजन समिति के प्रमुख सिने विजन के सचिव सीए राकेश जी मित्तल, विश्वविद्यालय के इएमआरसी डॉ. एके सिंह, डॉ. चन्दन गुप्ता, सानंद न्यास के जयंत भिसे, प्रतिष्ठित समाज सेवी एवं डीपीएस देवास के किशोर जायसवाल, अर्पिता पटेल, किरण महाजन, महावीर जैन उपस्थित थे. मां सरस्वती जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ कार्यालय का शुभारम्भ हुआ.  वेब साइट तैयार करने वाले केशव गुप्ता ने सभी उपस्थितों के बीच वेबसाइट के बारे में जानकारी दी.

जे नंदकुमार जी ने कहा कि कला व्यक्ति को मुक्त करती है. कला संस्कृति अन्त:दृष्टि से निर्मित हुई है. संस्कृति व कला का प्रारंभ हमारे पूर्वजों ने बाहरी इंद्रियों से देखने की बजाय स्वयं के भीतर देखकर, खोजकर किया है. जैसे सूर्य ऊर्जा देता है, लेकिन सूर्य को ऊर्जा कौन देता है, इस प्रश्न का उत्तर खोजा तो पाया कि ऊर्जा तो स्वयं के भीतर ही है. इसी से हमारी गौरवशाली संस्कृति के दृष्टिकोण के आधार पर चलचित्रों का सृजन हो भी रहा है. उन्होंने कहा कि ऐसी दिशा देने व ऐसे कलाकारों को मंच देने व नवीन सृजन हो, इसलिए चित्रभारती फिल्मोत्सव का आयोजन हो रहा है. इंदौर में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय सह आयोजक है. 26, 27, 28 फरवरी 2016 में फिल्मोत्सव का आयोजन होगा.

वर्तमान में भारत में बौद्धिक आतंकवाद चल रहा है. उदाहरण देते हुए बताया कि केरल के एक कलाकार ने ‘प्रिय मानसम्’ फिल्म निर्माण की थी. इसे फिल्म महोत्सव में दिखाया जाना था, परंतु केरल में बौद्धिक आतंकवाद के चलते इस फिल्म को धर्मनिरपेक्ष नहीं माना गया और फिल्म का प्रदर्शन नहीं करने दिया. उन्होंने कहा कि कला के क्षेत्र में एक आतंकवाद चल रहा है, यह पाश्चात्य संस्कृति से प्रेरित है. भारत में फिल्मों व कला में पाश्चात्य का प्रभाव है, परंतु कला प्राचीन है. कला व गौरवशाली भारतीय संस्कृति को हमारे पुरखों ने स्वयं को खोजकर किया, अपने स्वयं के भीतर अंतरात्मा को खोजकर किया, अंर्तध्यान होकर किया है. इसलिए भारतीय कला व संस्कृति को लेकर जो फिल्मों का निर्माण कलाकार, विद्यार्थी कर रहे हैं, उन्हें मंच प्रदान करने का कार्य चित्र भारती कर रही है. चित्र भारती फिल्मोत्सव आयोजन समिति का कार्यालय 167 तिलक पथ रामबाग में बनाया गया है. कार्यक्रम के संचालक डॉ. प्रवीण काबरा ने आयोजन समिति के सदस्यों का परिचय कराया.

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