कोठारी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को विश्व का सबसे बड़ा जन संगठन बताते हुए कहा कि जितना बड़ा यह संगठन है, उतनी ही अधिक देशवासियों को इससे उम्मीदें भी हैं। ऎसे में उन्होंनेभागवत से जानना चाहा कि संघ प्रमुख के रूप में वे देश के भविष्य की कैसी तस्वीर देखते हैं और देशवासियों को देश के बारे में कैसा सपना दिखाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि हम यह समझना चाहतेहैं कि आने-वाले बीस-तीस वर्षो के भारत के लिए आपका क्या सपना है?
भागवत ने कहा कि मध्यकाल के दौरान बार-बार होने वाले हमलों ने देशवासियों के आत्मविश्वास को चोट पहुंचाई थी। सनातन धर्म भी अव्यवस्था का शिकार होने से नहीं बच पाया। लेकिन पिछले कुछ दशकों में देशवासियों का न सिर्फ आत्मविश्वास लौटा है, बल्कि अब वे आने वाले समय में भारत को तेजी से आगे बढ़ता देख रहे हैं। उन्होंने विश्वास प्रकट किया कि अपने सांस्कृतिक वैभव के साथ अगले बीस वर्षो में भारत विश्व का अग्रणी और शक्ति-साधन सम्पन्न देश बन जाएगा। उन्होंने कहा, “इस देश के मूल्यों की रक्षा में अपने-आप को झोंक देने वाले लोग अपने जीते जी इस सपने को पूरा होते देखेंगे-ऎसा मेरा दृढ़ विश्वास है। कई पुराने स्वयं सेवक भी ऎसे ही सवाल करते हैं। मैं उनसे कहता हूं, इस सपने को पूरा होते देखने के लिए उन्हें बीस साल और जीना होगा।”
उन्होंने कहा कि इस तरह के सपने पूरे करना आसान नहीं होता । ऎसे सपने सरकार नहीं, जनता के भरोसे पूरे होते हैं। जनता देश को आगे बढ़ते देख रही है। हम जनता के बीच जाएंगे और वातावरण बनाएंगे। सपनों को पूरा करने का काम जनता ही करेगी। परिवर्तन हमेशा जनता ही लाती है, सरकार नहीं। भागवत ने कहा-“जैसा वातावरण तैयार हो रहा है, उसे देख कर कह सकते हैं-अखंड भारत का सपना भी पूरा होगा। भारत के आसपास के देशों में सरकारें भले ही अलग-अलग रहीं, लेकिन ये देश समान हितों के लिए भारत के नेतृत्व में एकजुट हो जाएंगे। इन देशों में भले ही धर्म भी दूसरे हों, पर इनके नागरिकों की जीवन पद्घति और जीवन-मूल्य एक जैसे हैं।” उन्होंने विश्वास प्रकट किया कि सनातन धर्म समय के साथ अपने आप में परिवर्तन लाएगा।
“भाजपा भटकेगी तो संघ रोकेगा”
कोठारी का कहना था कि देशवासी तो मौजूदा सरकार को संघ का ही राजनीतिक अंग मानते हैं और संघ के दिए एजेंडे पर ही यह सरकार सत्ता में आई। पर आज सरकार उस एजेंडे से हटती दिखाई दे रही है। देशवासियों का भरोसा हिला है। इसका भाजपा को फर्क पड़े न पड़े, संघ की छवि पर अवश्य असर पड़ेगा। उन्होंने इस बिन्दू पर भागवत के विचार जानने चाहे।
“भाजपा भटकेगी तो संघ रोकेगा”
सरसंघचालक ने कहा कि संघ समाज का संगठन है। सरकार या सत्ता में इसका प्रत्यक्ष तौर पर कोई हस्तक्षेप नहीं है। यह सही है संघ के स्वयंसेवक अनेक संगठनों के साथ, भाजपा और सरकार में भी हैं। पर वे अपने-अपने स्थान की परिस्थिति के अनुरूप काम करने को स्वतंत्र है। संघ से उन्हें विचारधारा मिली है, उद्देश्य मिला है। काम वे कैसे भी करें, मुख्य उद्देश्य-राष्ट्र को सनातन जीवन मूल्यों के साथ आगे बढ़ाने का-उन्हें ध्यान में रहना चाहिए। जिस तरह भारतीय मजदूर संघ में काम कर रहे स्वयंसेवकों को नारे भी लगाने होते हैं, प्रदर्शन भी करने होते हैं, उसी तरह सरकार चलाने में भी कई तरह की मजबूरियां सामने आती हैं। सत्ता कई कमजोरियां भी लाती है। हमारा मानना है-मंजिल हमेशा ध्यान में रहनी चाहिए, रास्ते सीधे भी हो सकते हैं और घुमावदार भी। भाजपा के पीछे संघ खड़ा है वह गलती करेगी या मंजिल से भटकेगी तो हम टोकेंगे, समझाएंगे। समझाते रहे भी हैं।
“बड़े मुद्दों का हल दीर्घकालीन”
बातचीत में आरक्षण के मुद्दे की चर्चा करते हुए कोठारी ने कहा कि आरक्षण को जिस उद्देश्य से शुरू किया गया था, उसके विपरीत अब यह नुकसान ज्यादा पहुंचा रहा है। गांव-गांव तक में हिन्दू समाज दो वर्गो में बंट गया है। पिछड़ों के विकास की मूल अवधारणा पीछे छूट गई और समाज में कटुता बढ़ गई। कोठारी ने कहा कि समानता के हक के लिए युवा पीढ़ी को तैयार किया जाना चाहिए। आरक्षण गरीबों के लिए ही होना चाहिए। उन्होंने जानना चाहा कि इस स्थिति को क्या संघ एकता और अखण्डता के लिए खतरा नहीं मानता?
भागवत ने माना कि आरक्षण की अवधारणा आज नुकसान पहुंचा रही है। इसका कारण यह है कि यह सामाजिक न होकर राजनीतिक अवधारणा है। इसका हल सामाजिक स्तर पर ही हो सकता है। सामाजिक स्तर पर ही पिछड़े लोगों का उत्थान संभव है। इसके लिए नया वातावरण बनाना होगा। संघ इसके लिए पूरे प्रयास करेगा।
समान नागरिक संहिता, बांग्लादेशियों की घुसपैठ जैसे मूलभूत मुद्दों पर काम नहीं होने के कोठारी के सवाल पर भागवत ने कहा कि कुछ मुद्दे ऎसे होते हैं, जिनका हल दीर्घकालीन होता है, बस ध्यान यह होना चाहिए कि हम सही दिशा में बढ़ रहे हैं या नहीं। ये भी ऎसे ही मुद्दे हैं। बांग्लादेशियों की घुसपैठ रोकने के लिए तारबंदी हुई, वार्ताओं के दौर हुए। आगे भी और हल निकलेगा। कोठारी का कहना था कि ये महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, जिन पर समयबद्घ और ठोस कदमों की आवश्यकता है, तभी देशवासियों में विश्वास पैदा होगा।
“संघ वातावरण बनाएगा, जनता काम करेगी”
भाजपा शासित प्रदेशों के शासन का जिR करते हुए कोठारी ने कहा कि राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में विकास को आप देख ही रहे हैं। इन राज्यों में आम आदमी की चिंताएं दिखती ही नहीं। प्रमुख मुद्दे हों या भ्रष्टाचार के आरोप, प्रधानमंत्री से लेकर हर स्तर पर मौन है। ऎसे में देशवासियों को आपसे अपेक्षा है कि आप तो मौन नहीं रहेंगे।
सर संघ चालक ने इस पर कहा कि वे समय-समय पर समाज के विभिन्न प्रतिनिधियों से मिलते रहते हैं, उनसे बात करते हैं। कई मुद्दे ऎसे हैं-जिनका हल सरकारें नहीं, केवल समाज ही निकाल सकता है। जिसके लिए वातावरण तैयार किया जा रहा है। स्वयं के मौन की बात पर उन्होंने मुस्कुरा कर कहा कि वे साल में एक बार विजयदशमी पर सार्वजनिक रूप से बोलते हैं।
बातचीत के दौरान कोठारी ने पश्चिम के बढ़ते प्रभाव पर चिंता व्यक्त करते हुए हिन्दी भाषा को समयबद्घ तरीके से काम काज की भाषा बनाने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता बताई। इससे ही “इंडिया” की जगह “भारत” स्थापित होगा। उन्होंने संविधान से धर्म निरपेक्षता के नाम पर सनातन परम्परा के प्रतीकों के चित्रों को हटाने को भी गलत बताया। भागवत ने उनके विचारों से सहमति प्रकट करते हुए कहा कि हिन्दी के लिए वे निश्चित ही कदम उठाएंगे।
बातचीत के दौरान भागवत ने पत्रिका के संस्थापक कर्पूर चंद्र कुलिश के विजयदशमी कार्यक्रम में शामिल होने का भी जिक्र किया। इस मौके पर क्षेत्रीय प्रचारक दुर्गादास तथा प्रांत प्रचारक शिवलहरी भी मौजूद थे।
प्रस्तुति: भुवनेश जैन
साभार : राजस्थान पत्रिका, जयपुर