गुजरात के झालोद में विराट हिन्दू संमेलन :
श्री केशव सेवा समिति, गुजारत द्वारा सामाजिक एकता, बंधुता और समानता के उद्देश्य के साथ गुजरात के झालोद में एक विराट हिंदु संमेलन का आयोजन किया गया. पिछले 7 माह से इस संमेलन की जिला, तालुका, ग्राम्य स्तर पर तैयारी चल रही थी. इस संमेलन में आसपास 1200 गांवों से लगभग 35 हजार ग्रामजनों ने भाग लिए. 125 संत, महंत उपस्थिति रहे. संमेलन के लिए 60 x 30 फीट का मंच बनाया गया. 4 बड़ी LED स्क्रीन ग्रामजानो की सुविधा के लिए लगायें गए.
संमेलन में कश्मीरमां शहीद हुए श्री रुमाल भाई रजाक तथा अमरसिंह कटारा का मरणोपरांत उनकी पत्नियो की उपस्थिति में सम्मान संतो द्वारा किया गया.
निवृत शिक्षक और Glory of India अेवोडॅ से सम्मानित काशीभाई मंगलभाई पटेल जिन्होंने (11 अविष्कार के लिए पेटन्ट प्राप्त किया है) को सम्मानित किया गया.
राष्ट्रपति अवोडॅ सम्मानित वाल्मीकि समाज के दिव्यांग निवृत शिक्षक, भजनिक अर्जुनभाई नाधोरा को भी सम्मानित किया गया.
संमेलन में विभिन्न सम्प्रदायो के साधु संतो द्वारा जातिभेद , व्यसनमुक्ति, छुआछुत , कुरिवाजोनो त्याग , हिंदुसमाज की एकता और अंधश्रद्धा निर्मूलन के लिए सामूहिक प्रयत्न करने का आह्वान किया गया.
इस अवसर पर अपने प्रवचन में डो. दलसुखदासजी महाराज ने कहाँ कि संघ द्वारा संपूर्ण हिंदुसमाज को एक करने का प्रयत्न प्रशंसनीय है, संघ को समाज का नेतृत्व करना है. संत समाज भी हिंदु समाज की एकता, अखंडता और हिंदुत्व के लिए बलिदान होने में संकोच नहीं करेगा. प्रत्येक हिंदु मैं भारत माता की सेवा करने के लिए आया हूँ इस भाव से देश सेवा करने को सक्रिय हो. इस विराट हिंदु समाज के प्रेरक हाजरी सभी संतो महंतो को भी उर्जा प्रदान करने वाली है. लोग संतो के दशॅन के लिए लाईन लगाते है, परंतु संमेलन में संतगंगा आपके विराट स्वरूप के दशॅन करने के लिए आई है.
श्री चरणदासजी महाराज ने कहाँ कि हिंदुओ के दुश्मन भी हमारे ही धर्मपरवर्तन किये हुए वनवासी ही है. जो अन्य के धर्म परिवर्तन के लिए कुप्रवृति कर रहे है. हमें ऐसे तत्वों से सावधान रहना होगा. अपनी एकता बनाए रखनी होगी अब आदिवासी का विराट पुरुष जाग रहा है अपना भविष्य उज्जवल है.
वीरभूमि मानगढ के महंत श्री कमलगिरी महाराज ने कहाँ कि पाप बढ़ता है तब शक्ति प्रकट होती है अंग्रेजो ने हमें धर्मभ्रष्ट करने के लिए समाज में फूट डाली. मानगढ़ मैं गोविंद गुरु ने समाज को सुधारने के लिए अवतार लिया. इस समाज को सुधारने के लिए संतों और संघ के गंगा अवतरित है. एक रहना और मतभेद दूर करना यही मानगढ़ का संदेश है.
श्री विक्रमदासजी महाराज ने कहाँ कि आपसब लोग काफी समय से बैठे हो अपने व्यसन यही छोड़कर जाना, गाय माता का क़त्ल न होनें दें वही सच्चा हिंदुं है। समाज के दुखी लोगो के लिए प्रतिदिन आधा घंटा निकलना इसके जैसा कोई महायज्ञ नहीं है.
इस अवसर पर कानगढ महाराज ने कहाँ कि आदिवासी हिन्दू है / नहीं है इस प्रकार समाज को भ्रमित किया जा रहा है लेकिन हिंदु जब जागेगा तो कोई हिन्दुओ का नाम भी नहीं लेगा. एक बनो , नेक बनो और धमॅ के रस्ते पर चलो.
श्री सुनीलभाई महेता (पश्चिम क्षेत्र कार्यवाह, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) ने कहाँ कि विवेकानंदजी से एकबार अंग्रेज़ों ने पूछा कि आप लोग इतने अलग-अलग रंग और वैविध्य रखते है फिर भी एक किस तरह से रह सकते हो ? उन्होंने उत्तर दिया गाय – घोडे रंगीन होते है और गधे एक रंग के ही होते है. हमें मार्ग से भटके अपने बांधवों को वापस लाना है. इतनी विविधता हिन्दू समाज के अलावा और कहीं नहीं है. देश की रक्षा के लिए भी हमारी वनवासी भूमि के लोग सर्वदा आगे रहे है. हमसभी साथ मिल कर संकल्पित बने यही अपेक्षा है.