विश्व कल्याण के लिए वेदों का पुर्नतेजस्वीकरण की है आवश्यकता – मोहनजी भागवत

नई दिल्ली, 11 अक्टूबर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहनजी भागवत ने कहा कि भारतवर्ष के सभी लोगों के नित्य जीवन का वेदों से सम्बन्ध है। वेद का अर्थ जानना होता है। जिसको हम साइंस कहते हैं वो बाहर की बातें जानना है, वेद में विज्ञान भी है और ज्ञान भी, वह भी है जो समझ में नहीं आता। वेदों का ज्ञान अपने अंदर की खोज करता है। वेद समाज को उन्नत करते हैं, समाज को उन्नत धर्म करता है और धर्म का मूल वेद हैं। अध्यात्म विज्ञान का विरोधी नहीं हो सकता, क्योंकि अध्यात्म में विज्ञान से भी ज्यादा अनुभूति है। हमारे यहां अध्यात्म और विज्ञान दोनों का विचार पहले से हुआ है। वेदों में यह दोनों बातें हैं इसलिए वेदों का महत्व ज्यादा है। तीन गुणों से सम्बन्धित सृष्टि का विचार वेद में है। उक्त विचार विश्व हिन्दू परिषद् व अशोक सिंघल फाउंडेशन द्वारा लक्ष्मी नारायण मंदिर (बिड़ला मंदिर) नई दिल्ली में चल रहे में छह दिवसीय चतुर्वेद स्वाहाकार महायज्ञ कार्यक्रम के तीसरे दिन यजमान के नाते आमंत्रित डॉ. मोहन भागवत ने प्रकट किये।

सरसंघचालक जी ने बताया कि जो भौतिक ज्ञान आज की दुनिया को प्राप्त है उसको सम्भालने के लिए जो आंतरिक ज्ञान चाहिए जिसके अभाव में युद्ध हो रहे हैं, जिसके अभाव में विनाश और पर्यावरण की हानि हो रही है। उस ज्ञान को यह पूर्णतया देने वाला वेद ज्ञान हमको फिर अपने परिश्रम से पर्नजीवित करना पड़ेगा। वेदों का पुर्नतेजस्वीकरण हिन्दुओं की नहीं पूरी मानवजाति के जीवन का प्रश्न है, यह कोई पूजा कर्मकांड की सीमित बात नहीं है। वेदों के पुर्नतेजस्वीकरण से पूरे संसार का कल्याण होगा इसके लिए हम सबको समपर्ण करना पड़ेगा।

महायज्ञ के आयोजक अशोक सिंघल फाउंडेशन के प्रमुख श्री महेश भागचंदका ने इस अवसर पर कहा कि माननीय अशोक सिंघल जी की अंतिम इच्छा रही कि वेदों को घर-घर तक पहुंचाना चाहिए। विश्व शांति के लिए लोगों को वेदों को सुनना चाहिए। युवा पीढ़ी को वेदों की जानकारी हो इसके लिए विश्व स्तर का चारों वेदों का स्वाहाकार दिल्ली में किया जाए। उनके रहते हुए 2015 में यह योजना बनी थी लेकिन चार दिन पहले उनका शरीर शांत हो गया था। इस कार्यक्रम को इसको स्थगित कर दिया था। अब चार पर्व के पश्चात हम इस कार्यक्रम को कर रहे हैं और इसमें दक्षिण भारत से रामानुजाचार्य चिन्जय स्वामी जी की देखरेख में 60 आचार्यों के साथ चारों वेदों का स्वाहाकार हो रहा है। 9 तारीख से यह स्वाहाकार शुरु हुआ है और 14 तारीख को सुबह इसकी पूर्णाहुति होगी। इसमें समाज की सभी वर्गों के व्यक्तियों को बुलाया है चाहे वह राजनीति में हों, सामाजिक हों, धार्मिक हों, सब लोगों को आमंत्रित किया है। इसमें अधिक से अधिक युवा भाग लें इसके लिए सोशल मीडिया में भी इसको प्रमोट किया है। आज एक लाख लोग जो सोशल मीडिया से जुड़े हुए हैं वो इस यज्ञ को देख रहे हैं।
सरकार्यवाह श्री भय्याजी जोशी कल सुबह के सत्र में आएंगे। गृहमंत्री श्री अमित शाह व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी इसमें सम्मिलित। सभी संतों का यहां आगमन हो रहा है व देश विदेश से यजमान यहां आ रहे हैं। वो सब इस यज्ञ को देखेंगे तो अपने-अपने स्थान में जाकर इस तरह का कार्यक्रम करेंगे।

इससे पूर्व के सत्र में विश्व हिन्दू परिषद की प्रबन्ध समिति के सदस्य श्री दिनेश चन्द्र ने बताया कि तीन दिन से यहां चारों वेदों का अलग-अलग कुंडों पर सस्वर शुद्ध उच्चारण करते हुए एक-एक मंत्र को शुद्ध सस्वर उच्चारण करते हुए यज्ञ कुंड में आहुति डाली जा रही है इसलिए इसको चर्तुवेद स्वाहाकार महायज्ञ कहा गया है। आज इसका तीसरा दिन है, 14 अक्टूबर को साढे ग्यारह बारह के बीच में महापूर्ण यज्ञ की पूर्ण आहुति होगी। आज विशेष बात त्रिदंडी स्वामी रामानुजाचार्य जी ने वेद के बारे में बताई कि वेद ऋषियों ने ईश्वर का साक्षात्कार किया अर्थात आत्मअनुभव किया उन अनुभव करने वालों के प्रसंग उन्होंने बताए और उस अनुभूति में से अनेक आज भी वेदों को कंठस्थ करके उस समय की अनुभूति को प्राप्त कर रहे हैं। पूज्य अशोक सिंघल जी का जो संकल्प था कि वेद समाज में फिर से आएं, समान्य जन तक वेद का ज्ञान पहुंचे तथा अंग्रेजों के कालखंड में वेद के संबंध फैली सब भ्रांतियां दूर हों।

शाम के सत्र में पूज्य संत रूपेंद्रानाथ हरिद्वार से, दिल्ली से पूज्य सुधांशु जी महाराज महायज्ञ में आए। यजमानों में डॉ. सुब्रमणयम स्वामी, श्री रामलाल, विहिप के अंतराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष श्री आलोक कुमार, उपस्थित थे।

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