बेंगलूरु. आचार्य अभिनवगुप्त की सहस्त्राब्दी वर्ष के अंतर्गत आयोजित राष्ट्रीय विद्वत संगम के समापन समारोह को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश भय्याजी जोशी ने संबोधित किया. उन्होंने कहा कि ‘जब हम कहते हैं कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, तो यह कोई राजनीतिक घोषणा नहीं है, बल्कि अपनी ज्ञान परंपरा का स्मरण करना है. कश्मीर विचार की भूमि है. यह सांस्कृतिक और जीवन मूल्यों का संदेश देने वाला प्रदेश है. एक बार फिर हम संकल्प करते हैं कि भारत को फिर से गौरवमयी स्थान दिलाने का प्रयास करेंगे.’ इस अवसर पर आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक एवं आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर जी और मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर जी भी उपस्थित थे.
सरकार्यवाह जी ने कहा कि आचार्य अभिनवगुप्त के विचारों की गंगा कश्मीर से निकलकर कन्याकुमारी तक पहुंची. आज कश्मीर को भारत से अलग करने वाली कुछ ताकतें सक्रिय हैं. इनके द्वारा कश्मीर का जो चित्र प्रस्तुत किया जाता है, वह वास्तविक नहीं है. उन्होंने कहा कि देश में भ्रम का एक वातावरण निर्मित करने का प्रयास किया गया कि भारत में सब लोग बाहर से आये हैं. तुम पुराने हो इसलिए पुराने किराएदार हो और हम नए है, इसलिए नए किरायेदार हैं. अर्थात् भारत में सब किराएदार हैं. लेकिन, विज्ञान ने इस झूठ का पर्दाफाश कर दिया. यह सब प्रकार के शोधों से साबित हो गया है कि भारत में रहने वाला कोई भी व्यक्ति बाहर से नहीं आया है. सब यहीं के मूल निवासी हैं. सबका डीएनए एक है. वर्षों से बनाए जा रहे इस प्रकार के भ्रम के वातावरण को तोड़ने का काम इस प्रकार के आयोजनों ने किया है. भय्याजी जोशी ने कहा कि जिस देश ने दुनिया को दिया ही हो, वह देश विकासशील कैसे हो सकता है. दरअसल, हम अपना इतिहास भूल गए और इस धारणा ने मन में घर कर लिया कि इस देश का उद्धार विदेशियों के द्वारा ही हो सकता है.
उन्होंने कहा कि विश्व में भारत स्वाभिमान और गर्व के साथ खड़ा हो, यह आज के समय की मांग है. हमारे यहां हर विचार को मान्यता दी गयी और उसका सम्मान किया गया. भारत के सभी मनीषियों और संतों ने विश्व के कल्याण की ही बात कही है. आचार्य अभिनवगुप्त के संबंध में कहा कि इस देश में शाश्वत, मूलभूत और सार्वकालिक चिंतन जिन मनीषियों ने प्रस्तुत किया, उन सब मनीषियों के प्रतिनिधि आचार्य अभिनवगुप्त हैं.
इससे पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर जी ने कहा कि आचार्य अभिनवगुप्त के विचारों के प्रचार-प्रसार और उनके दर्शन को दुनिया के समक्ष रखने के लिए जो भी प्रयास होंगे, उनको सफल बनाने के लिए किसी भी प्रकार के संसाधनों व धनराशि की कमी नहीं होने दी जाएगी. दुनिया में अद्भुत ज्ञान का भण्डार हम थे. भारत के विश्वविद्यालय तक्षशिला और नालंदा दुनिया में प्रख्यात थे. दुनियाभर के लोग ज्ञान प्राप्त करने के लिए भारत आते थे. तत्व ज्ञान में भी हमने हजारों साल विश्व का मार्गदर्शन किया. भारत की विशेषता है कि यहां तर्क की परंपरा है. भारतीय समाज अनेकों देशों में गया, लेकिन वहां आक्रमण नहीं किया. वहां शोषण कर संपत्ति एकत्र कर भारत नहीं लाए, बल्कि वहीं का होकर रह गया. यह भारतीय परंपरा है. इस अवसर पर आचार्य अभिनवगुप्त सहस्त्राब्दी समारोह समिति के कार्यकारी अध्यक्ष जवाहरलाल कौल ने आभार व्यक्त किया.