वि.सं.के., गुजरात :
गुजरात के आनंद शहर में 23 मार्च के दिन एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की विशेषता यह रही कि इसमें तीनो शहीदों के परिवार के सदस्य उपस्थित रहे. शहीद भगतसिंह के भतीजे श्री किरनजीत सिंह, शहीद राजगुरु परिवार के प्रपोत्र श्री शांतनुदास और शहीद सुखदेव के प्रपोत्र श्री अनुज थापर एक साथ एक ही मंच पर उपस्थित रहे.
कार्यक्रम का आयोजन आनंद के कलेक्टर श्री धवल कुमार, पुलिस सुपरिटेंडट श्री अशोक यादव जी तथा आत्मीय फिल्डकोन ग्रुप के श्री भावेश भाई सुतरिया ने संयुक्त रूप से किया था. शाम 5.30 से रात्रि 8.30 तक चले इस कार्यक्रम में श्री कवित पंड्या एवं साथियों द्वारा लघुनाटिका ‘ वो कौन था’ प्रस्तुत कि गई, जिसमे शहीद त्रिपुटी के अंतर्द्वंद को जीवंत रूप से प्रस्तुत किया गया.
कुमारी हिमानी व्यास द्वारा भारत नाटयम तथा श्री धवल जोशी एवं साथियों द्वारा देशभक्ति के गीत प्रस्तुत कर वातावरण को रोमांचित बना दिया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन मशाल जला कर किया गया.
इस अवसर पर रा. स्व. संघ, गुजरात प्रांत के संपर्क प्रमुख श्री भार्गव भाई भट्ट ने क्रान्तिकारियो की बलिदानी परंपरा को याद करते हुए कहा कि भगत सिंह व् साथी राह भूले हुए या आतंकवादी गतिविधि में लिप्त युवक नहीं थे, परन्तु स्वयं के बलिदान से लाखो भगत सिंह पैदा होगे और माँ भारती जल्द ही मुक्त होगी इसी आशय के से भाग जाने का अवसर होने पर भी स्वयं को पुलिस को सुपुर्द किया. दुर्गा भाभी जैसी नारीरत्नों के अप्रितम त्याग से भारत कि क्रांति का बाग सींचा गया है. 50 वर्षो के आजीवन कारावास स्वीकार कर करोडो लोगो के ह्रदय के हार बनने वाले वीर सावरकर की जेल में खप गई युवावस्था ने इस देश को आज़ाद कराने में मुख्य भूमिका निभाई है. 1956 में ब्रिटिश प्रधानमंत्री श्री एटली ने संसद में कहा था कि क्रान्तिकारियो कि अविरत परंपरा, आज़ाद हिन्द फ़ौज के सैनिक आक्रमण और मुंबई में नौका सैनिको के विद्रोह के कारण हमने भारत जल्द छोड़ना पड़ेगा ऐसा मन बना लिया था.
आर्यसमाज कि ओर से पधारे स्वामी श्री धर्मबंधुजी ने कहा कि इस देश के एक दो बार नही सोलह बार टुकड़े हुए है. इस देश में हिन्दू जबभी कमजोर पड़ा तब तब विदेशी अक्रांताओ की कुटिलनीति का शिकार बना है.
सायं 7.33 मिनट पर शहीदों के सन्मान में 1 मिनिट का मौन रखा गया. शहीद भगत सिंह के भतीजे श्री किरनजीत सिंह ने बताया कि भगत सिंह जी के पिता स्वयं 36 बार जेल गए थे. भगत सिंह जब 12 वर्ष के थे तब जलियावाला कांड हुआ था. उन्होंने बाग कि मिटटी लाकर अपने मित्रो को दिखाई और कहा यह निर्दोषो का लहू है में इसका बदला लूँगा. लाला लाजपतराय का अंग्रेजो के लाठीचार्ज में निधन हुआ तब सांडर्स को मारने कि उन्होंने प्रतिज्ञा ली. भगत सिंह ने आवेश मात्र में असेम्बली में बम नहीं फेका था. शहीद भगत सिंह आतंकवादी नहीं एक सच्चे देश भक्त थे.
शहीद सुखदेव के वंशज श्री अनुज थापर ने रंग दे बसंती गीत ललकारा और बुलंद आवाज में जयघोष कराया. उन्होंने कहा कि शहीदों को सच्ची विरांजलि यानि इस देश को कभी कमजोर नहीं पड़ने देना होगी.
शहीद राजगुर के प्रपोत्र श्री शांतनुदास ने कहा कि विचारो में से गंदगी और मलीनता फ़ेंक दो और एक हो जाओ. हम एक होंगे तो दुनिया को झुका देगे. इस अवसर पर रा. स्व. संघ, पश्चिम क्षेत्र कार्यवाह श्री सुनीलभाई मेहता, भारतीय जानता पार्टी के अग्रणी नेता श्री पुरषोत्तम रुपाला जी, श्री दिलीपभाई संघानी सहित बड़ी संख्या में नगरजन उपस्थित रहे.