सदियों से आदि गुरू शंकराचार्य से जुड़ी आस्था का केंद्र रहा है श्रीनगर; कश्मीर से शंकराचार्य के आध्यात्मिक संबंध की कहानी

श्रीनगर में स्थित शंकराचार्य मंदिर वो कड़ी है, जो सदियों से भारत के सनातन इतिहास की आस्था का केंद्र रहा है। जिस पहचान को मुस्लिम आक्रांता और आधुनिक मुस्लिम आतंकी चाह कर भी मिटा नहीं पाये। हर साल आदि गुरू शंकराचार्य के जन्मदिवस पर ये आस्था केंद्र भारतीय सनातन चेतना का केंद्र बन जाता है। हज़ारों की संख्या में कश्मीरी हिंदु यहां दर्शन के लिए एकत्रित होते हैं। लेकिन इस बार महामारी के चलते यहां श्रद्धालुओं का आना संभव नहीं हो पाया। अन्यथा 1990 में आतंकवाद के चलते विस्थापित हुए अनेक कश्मीरी पंडितों के लिए अपनी आध्यामिक जड़ों से जुड़ने का ये एक पावन अवसर होता है।

• यह मंदिर समुद्र तल से 1100 फीट की ऊंचाई पर स्थापित है।• यह मंदिर कश्मीर स्थित सबसे पुराने मंदिरों में से एक है।• डोगरा शासक महाराजा गुलाब सिंह ने मंदिर तक पँहुचने के लिए सीढ़ियाँ बनवाई थी।• इस मंदिर की वास्तुकला भी काफ़ी ख़ूबसूरत है।• शिव का यह मंदिर क़रीब दो सौ साल पुराना है।• जगदगुरु शंकराचार्य अपनी भारत यात्रा के दौरान यहाँ आये थे।• उनका साधना स्थल आज भी यहाँ बना हुआ है।• लेकिन ऊँचाई पर होने के कारण यहाँ से श्रीनगर और डल झील का बेहद ख़ूबसूरत नज़ारा दिखाई देता है।  अद्वैत दर्शनशास्त्र के जनक शंकराचार्य ने पूरे देश का भ्रमण किया और शांति और सद्भावना का सन्देश जन जन तक पहुँचाया I हज़ारों किलोमीटर की दूरी तय कर शंकराचार्य केरल से कश्मीर के श्रीनगर आये और जहाँ उन्होंने ध्यान किया वह पहाड़ी शंकराचार्य के नाम से प्रसिद्द हो गयी I यहाँ भगवन शिव का एक बहुत प्राचीन मंदिर भी है I प्राचीन काल से शंकराचार्य पहाड़ी में कई सिद्ध पुरुषों ने ध्यान साधना की है और इसी कारण इस स्थान का आध्यात्मिक महत्त्व भी है I

Source : www.jammukashmirnow.com

शंकराचार्य मंदिर जम्मू और कश्मीर राज्य के श्रीनगर शहर में डल झील के पास शंकराचार्य पर्वत पर स्थित है।

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