राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ, नारणपूरा भाग द्वारा आयोजित विजयादशमीं उत्सव कार्यक्रम में अपने उद्बोधन में श्री चिंतनभाई उपाध्याय (प्रांत प्रचारक, गुजरात प्रांत) ने कहा कि संघ मे उत्सव के अवसर अधिकाधिक लोगो को जोड़ने की दृष्टी से एकत्रीकरण होता है. विजयादशमी भावी समाज को विजय भाव दिलाता है. विश्व का सबसे प्राचीन देश भारत है, सबसे प्राचीन ग्रंथ रुग्वेद भारत से है, यहाँ की कला संस्कृति सबसे प्राचीन है. हमारे देश ने विश्व को सभ्यता सिखाई. विश्व के व्यापार में 1/3 भाग भारत का है. वास्को डी गामा को समुद्र के रस्ते भारत का मार्ग दिखाने वाला भी भारतीय ही था. अपना देश पहले से ही सर्वश्रेष्ठ रहा है. भारत में आकर ही एक विदेशी महिला निवेदिता बनी और विवेकानंद जी की शिष्या बनी.
आजकल जो चल रहा है वह स्थिती कैसे उत्पन्न हुई इस पर विचार करना होगा. आज ऐसी शक्तियाँ सक्रिय है जो शस्त्रों के माध्यम से विश्व विजय करना चाहती है. पहले भी इस प्रकार की शक्तियाँ थी लेकिन वो सफल नहीं हुई. ईतिहास में सभ्यता एवं संस्कृति पर सबसे बड़ा आक्रमण इस्लाम का हुआ. भारत विश्व की माता है. सभी देशों के शरणार्थी यहाँ आये और उन्हें आश्रय दिया गया ज्यू, पारसी आदि आये और यहाँ की संस्कृति में ओतप्रोत हो यहाँ बस गए. लेकिन ईस्लाम की विचारधारा में सहिष्णुता नहीं है, वहां विरोध है, नाश है, हिंसा है. भारत ने ही ईस्लाम को भी आश्रय दिया, धर्म व् पूजा पद्धति के लिए स्थान दिया. लेकिन उनके द्वारा हमारी समृधि, शांति पर आक्रमण होते रहे इसी कारण से हम धीरे धीरे विश्व विजय की बात भूल गए. हम विदेशी व्यवहार, भाषा स्वीकार करते गए. विदेशी आक्रमण के सामने हमारे पूर्वजो ने वीरतापूर्वक संघर्ष किया. अपने धर्म संस्कृति को बचाने के लिए अपने प्राणों का बलिदान भी दिया.
धीरे-धीरे हमने मानना शुरू कर दिया की हमारा शासक विधर्मी ही रहेगा. विजय की भावना को हम भूल गए. विजयादशमी तो हम मानते रहें लेकिन आसुरीस शक्तियों को हराने की प्रवृति समाप्त हो गई. विधर्मी ताकतों ने हमारी गौरवशाली परंपरा को समाप्त करने का प्रयास शुरू कर दिया. वेदों का उपहास होने लगा. कहाँ जाने लगा कि ये भेड़ बकरी चराने वाले गडरिये के लिखे वेद है. अपनी न्याय व्यवस्था, जाति व्यवस्था, ग्राम व्यवस्था समाप्त कर दी गई. विकेन्द्रित व्यवस्था समाप्त कर दी गई. हमारी धर्म परिवार आधारित व्यवस्था थी जो राज आधारित कर दी गई. पिछले 150 वर्षो में पद्धतियां बदल गयी. हमें अपनी चीजे बुरी लगने लगी. भारत अपनी आत्मा भूल गया. अतः विजयादशमीं का प्रतीकात्मक उत्सव की बजाय प्रत्येक व्यक्ति को राम जैसा आदर्श जीवन जीने का ज्ञान हो, राम जैसा प्रत्येक का व्यवहार हो यह आवश्यक है. हमारे सामने राम, सीता जैसे आदर्श है.
1925 में डॉ.हेडगेवार ने हमारा प्राचीन गौरवशाली ईतिहास को पुनः स्थापित करने के लिए संघ की स्थापना की. डॉ. साहब का प्रयत्न था कि प्रत्येक देशवासी में यह भाव अन्तकरण से जागृत हो कि प्रत्येक भारतीय मारा भाई/बहन है. देशभक्ति जागृत करने का काम डॉ. साहब ने किया.
विवेकानंदजी ने हमारा स्वाभिमान जगाया उन्होंने कहाँ गर्व से कहों हम हिन्दू है. यह नारा विश्व हिन्दू परिषद का नारा नहीं है वरन यह विवेकानंद जी ने कहा था.
संघ की स्थापना विजयादशमीं के दिन 1925 में हुई थी. संघ का काम प्रत्येक देशवासी मे विजय की भावना जागृत करना है. सर्वे भवन्तु सुखिनः यानि विश्व कल्याण की कामना करने वाले हम लोग है. विश्व कल्याण के लिए प्रचंड शक्ति का निर्माण करना होगा तभी विश्व कल्याण संभव है. हिन्दू समाज को संगठित करने का कार्य संघ करता है. समाज में जबभी कोई विपत्ती आती है तो संघ का स्वयंसेवक दौड़ पड़ता है. सतत संघ कार्य करते रहेने से ही विपत्ती में समाज के साथ खड़े रहने की भावना आती है. आज हमें शक्तिशाली भारत का निर्माण करना है एक-एक बस्ती, एक-एक गाँव तक पहुचना है. हमारी शक्ति के केंद्र में व्यक्ति नहीं वरन परिवार है. हमारी अपेक्षा है परिवार हराभरा हो, सबके लिये स्थान हो, प्रेम हो, आदर्श हिन्दू परिवार हो. समरस समाज ही शक्तिशाली होता है. संघ मानता है कि समस्त हिन्दू एक भारतमाता की संतान है. हमें अपने जीवन में समरसता को उतरना होगा, व्यवहार में लाना होगा. सभी से आत्मीय संबंध होने चाहिये.अनेक प्रकार की विषमताओ को सहन करने वाला वंचित वर्ग हमारा अपना ही है. हम मानते है सभी हिन्दू एक है चाहे वह किसी भी वर्ण, जाति का हो.
कार्यक्रम के प्रारंभ में मुख्य अतिथि श्री विरेशभाई ब्रह्मभट्ट (SBI, Union Asstt. Secretary) ने कहाँ कि संघ ही एक मात्र ऐसा संगठन है जो शस्त्रपूजन करता है. उन्होंने कहाँ की हिन्दुओ की जनसँख्या भारत में तेजी से काम हो रही है. हमें वर्ण व्यवस्था को भूलकर सभी हिन्दुओ को एक होना होगा, अश्पर्श्यता दूर करनी होगी. संघ में यह देखने को मिलता है. उन्होंने कहाँ की संघ में प्रमाणिकता है. हमें अपनी आय का कुछ भाग हिन्दू समाज के लिये किसी भी प्रकार का श्रेय लिए बिना खर्च करना चहिये. ऐसा करने से ही भारत सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र बनेगा.
कार्यक्रम में श्री चंद्रकांतभाई पटेल, भाग कार्यवाह, नारणपूरा, कर्णावती ने परिचय व् आभार विधि की. श्री सुमनभाई पटेल (मा. भाग संघचालक, नाराणपूरा) सहित अनेक
महानुभाव इस अवसर पर उपस्थित रहे.