भोपाल (विसंकें). भोपाल में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की क्षेत्रीय बैठक के तीसरे दिन सरसंघचालक मोहन भागवत जी ने कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि स्वावलंबन का भाव समाज में स्थाई रूप से स्थापित हो, इसके लिए प्रयास करना है. वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान समाज में संघ के प्रति विश्वास बढ़ा है. जिससे इस कालखंड में कई नए कार्यकर्ता एवं संस्थाएं संघ के संपर्क में आए हैं. संघ के संपर्क में आई इस सज्जन शक्ति को संगठित करते हुए समाज के बीच में कार्य कराने के प्रयास कर अधिक गति देना है.
सामाजिक नेतृत्व से ही समाज परिवर्तन सम्भव
संघ के संपर्क में आए इन नए कार्यकर्ताओं को समाज के बीच में समाज के प्रश्नों के समाधान के लिए प्रत्यक्ष कार्य करने हेतु प्रेरित करने के भी प्रयास करने हैं, समाज की सज्जन शक्ति को सामाजिक समरसता, पर्यावरण, कुटुंब प्रबोधन विषय आदि के लिए कार्य करने के लिए प्रेरित करें और सामाजिक नेतृत्व यह कार्य स्थाई भाव में परिवर्तित हो क्योंकि सरकारों के भरोसे समाज परिवर्तन संभव नहीं है. समाज परिवर्तन सामाजिक नेतृत्व के कारण ही संभव होता है. कोरोना के इस काल में संपूर्ण समाज के प्रश्नों का समाधान समाज के द्वारा ही संभव हुआ है.
छोटे छोटे समूह में मैदान पर आएगा शाखा कार्य
कार्यकर्ताओं को मार्गदर्शन करते हुए सरसंघचालक जी ने कहा कि कोरोना के समय में संघ का कार्य वर्चुअल रूप से चल रहा था, अब उसी कार्य को धीरे-धीरे समाज के बीच में लाकर गति देने का कार्य भी करना है. कोरोना की विपरीत परिस्थितियों में संघ की शाखा मैदान पर लगाना संभव नहीं था. किंतु अब इस कार्य को कोरोना की सभी अहर्ताओं को ध्यान में रखते हुए प्रत्यक्ष जमीनी स्तर पर लाना है और शाखाओं को मैदान पर छोटे-छोटे समूह में ले जाना है.
पर्यावरण संरक्षण के लिए हो रहे विशेष प्रयास
बैठक में कार्यकर्ताओं ने चर्चा करते हुए बताया कि देशभर में पर्यावरण संरक्षण हेतु स्वयंसेवकों द्वारा कई प्रकल्प चलाए जा रहे हैं, जिसमें जल संरक्षण के लिए संघ के विभिन्न संगठन तथा कार्यकर्ता बोरी बंधान करके जल को संरक्षित करने का कार्य कर रहे हैं. इसी प्रकार पर्यावरण को सर्वाधिक हानि पहुंचाने वाली प्लास्टिक का उपयोग समाज द्वारा ना किया जाए, इसके लिए भी कार्यकर्ताओं द्वारा कई जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं.
इसी प्रकार पर्यावरण संरक्षण की विशेष गतिविधि के अंतर्गत कार्यकर्ताओं ने अनेकों जगह पर वृक्षारोपण के कार्य किए हैं साथ ही लोगों को वृक्षों की महत्ता समझाते हुए उनके घरों पर भी आयुर्वेदिक व औषधीय पौधों का रोपण किया जा रहा है.