वनवासी कल्याण आश्रम का वार्षिकोत्सव भारत के सांस्कृतिक जीवन के मंचन के साथ दिल्ली में संपन्न
अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर जनजातीय समाज राष्ट्र के सजग प्रहरी के नाते भूमिका निभाता है – भगवान सहाय जी
दिल्ली, 13 मई। देश के वनवासी क्षेत्रों के सांस्कृतिक जीवन की दिलचस्प झलकियां देश की राजधानी दिल्ली में देखने को मिलेंगी। शाह ऑडिटोरियम में देश के कई वनवासी क्षेत्रों से आए वनवासी कलाकारों द्वार वनवासी कल्याण आश्रम, दिल्ली के वार्षिक उत्सव के आयोजन के अवसर पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर केंद्रीय मंत्री, भारत सरकार डॉ. हर्षवर्धन तथा वनवासी कल्याण आश्रम के उत्तर क्षेत्र के महामंत्री श्री भगवान सहाय ने मुख्य वक्ता के तौर पर सभागृह में उपस्थित जनसमूह को संबोधित किया। इस आयोजन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दिल्ली प्रान्त संघचालक मा. श्री कुलभूषण आहूजा, जी.एन.आई.ओ.टी. ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूशन के वाइस चेयरमैन श्री राजेश कुमार गुप्ता, सुप्रसिद्ध समाज सेविका श्रीमती पूर्णिमा बंसल, दिल्ली मेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार डॉ. गिरीश त्यागी के साथ समाज के प्रतिष्ठित और गणमान्य लोग बड़ी संख्या में सहभागी बने।
श्री भगवान सहाय ने अपने उद्बोधन में कहा कि कार्य करते समय हम मानवीय भाव से सेवा, सामाजिक कर्तव्यबोध और राष्ट्रभावना का जागरण करें। ईसाई बहुल उत्तर-पूर्वांचल में चल रहे अपने कार्य के परिणाम स्वरुप आज अपना समाज कह रहा है – भारत मेरा है और मैं भारत का हूँ। उन्होंने बताया कि वनवासी समुदाय की हिन्दू धर्म के अभिन्न अंग के रूप में पहचान रही है, जिसे अंग्रेजों के षडयंत्र के तहत हमसे भुलवा दिया गया। भारत की आठ देशों से लगने वाली अंतर्राष्ट्रीय सीमा के 35 प्रतिशत हिस्से पर जनजातीय समाज राष्ट्र के सजग प्रहरी के नाते अपनी भूमिका निभाता है। अतः हम सबकी जिम्मेदारी है कि इन अभावग्रस्त क्षेत्रों को राष्ट्रविरोधी तत्वों के षड्यंत्रों से बचाएं। किसी भी देश को सुखमय और सम्मानपूर्वक जीवन जीना है तो सम्पूर्ण समाज एक रहे, एकरस रहे, तू मैं एक रक्त का भाव लेकर वनवासी कल्याण आश्रम शहरों, नगरों में काम करता है। वनवासी कल्याण आश्रम एक राष्ट्रीय साधना है, एक यज्ञ है इसको पूर्ण करने के लिए उन्होंने वनवासी कल्याण आश्रम के कार्यकर्ताओं का आह्वान किया की वे संकल्प करें कि किसी भी परिस्थिति में, कितने भी अभाव में, कितने भी परिश्रम के बावजूद राष्ट्र को एक रखने के लिए यहां देशभक्ति का भाव निर्मित करके रहेंगे। धर्मांतरण और विघटनकारी नक्सली गतिविधियों के बारे में वनबंधुओं को जागरूक करेंगे।
केंद्रीय विज्ञान और तकनीक मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि सात्विक भाव से कार्यरत वनवासी कल्याण आश्रम को मेरी शुभकामनाएं। तू में एक रक्त, भारत मेरा है और में भारत का यही भाव हम सबका होना चाहिए।
श्री कुलभूषण आहूजा ने अपने संबोधन में कहा कि समाज के अग्रणी लोगों के सहयोग से ही समाज गतिशील बनता है, इस समय 10 करोड़ की जनसंख्या वनवासी क्षेत्रों में वास करती है जिसमें से 80 प्रतिशत लोग शिक्षा से वंचित हैं। ऐसे निर्बल समाज को सबल में मिलाने का काम वनवासी कल्याण आश्रम कर रहा है। स्वस्थ्य, शिक्षा, इन क्षेत्रों में पाई जाने वाली वनस्पति-खनिजों का लाभ वनवासी कल्याण आश्रम पिछले 65-66 वर्षों से करता आ रहा है।
इस अवसर पर दिल्ली में अध्ययन कर रहे उत्तर-पूर्वांचल के छात्र एवं वनवासी कल्याण आश्रम छात्रावास में रह रहे दिल्ली विश्व विद्यालय के खिलाडियों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में मणिपुर के बैम्बो नृत्य तथा उत्तराखंड की नंदा देवी राजजात यात्रा की प्रस्तुति ने सबको भाव विभोर कर दिया। शिक्षा क्षेत्र में कार्यरत श्री अनिल बंसल सामजिक कार्यकर्ता श्रीमती पूर्णिमा बंसल एवं कई महानुभावों ने वनवासी कल्याण आश्रम को आर्थिक सहयोग की घोषणा की। नरेला की वनवासी समिति में कार्यरत श्रीमती भारती, श्रीमती अनुराधा एवं श्री दिनेश जी ने कार्यक्रम का सफल सञ्चालन किया। सभागृह परिसर में राजीव अवस्थी एवं अन्य युवा कार्यकर्ताओं द्वारा चले साहित्य बिक्री केंद्र ने वातावरण में उत्साह भर दिया।
गौरतलब है कि वनवासियों के सर्वागीण विकास हेतु श्री बालासहब देशपांडे ने लगभग 66 साल पहले वनवासी कल्याण आश्रम की नींव रखी थी। दिल्ली में वनवासी कल्याण आश्रम का कार्य 1978 में आरंभ हुआ अभी यहां उत्तर पूर्व के विद्यार्थियों के दो छात्रावास चल रहे हैं। इन छात्रावासों में रहकर उत्तर पूर्व के वनवासी क्षेत्रों से आए छात्र निशुल्क आवासीय शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
देश भर में वनवासी कल्याण आश्रम 65800 से ज्यादा वनवासी ग्रामों से संपर्क में रहकर 20 हजार से ज्यादा सेवा प्रकल्प वनवासी बंधुओं के समग्र विकास के लिए चला रहा है। कुल 231 छात्रावास चल रहे हैं और 4510 शिक्षा प्रकल्प, इसके अलावा 3965 आरोग्य केंद्र स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवा रहे हैं तथा 3105 आर्थिक विकास केंद्र इन क्षेत्रों में आर्थिक विकास में मदद कर रहे हैं। अभी तक 10 लाख से ज्यादा वनवासी बंधु वनवासी कल्याण आश्रम के प्रकल्पों से लाभान्वित हो चुके हैं।