राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पांच सरसंघचालकों के व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व पर केंद्रित पुस्तकों का लोकार्पण
‘हमारे डॉ. हेडगेवार जी’, ‘हमारे श्रीगुरुजी’, ‘हमारे बालासाहब देवरस’, ‘हमारे रज्जू भैया’ तथा ‘हमारे सुदर्शन जी’ का लोकार्पण
पटना. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले जी ने इंदिरा गांधी तारामंडल स्थित सभागार में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पांच सरसंघचालकों के व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व पर केंद्रित पुस्तकों का लोकार्पण किया. उन्होंने कहा कि संघ चार कारणों से आगे बढ़ रहा है, जिसमें एक हिन्दुत्व का विचार है. दूसरा प्रमुख कारण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पांच सरसंघचालकों का जीवन है. नेतृत्व के समर्पित एवं ध्येयनिष्ठ जीवन के कारण ही संघ बढ़ रहा है. तीसरा संघ की विचारधारा है. संघ समाज में संगठन नहीं, बल्कि समाज का संगठन है और चौथा अत्यंत महत्वपूर्ण कारण है – स्वयंसेवकों का समर्पण, जो इसकी नींव हैं. इन चार कारणों से संघ निरंतर बढ़ता जा रहा है. डॉ. हेडगेवार जी ने सपना देखा था कि एक समय ऐसा आएगा कि संघ और समाज एक हो जाएगा. आज संघ की व्याप्ति काफी बढ़ गई है. सुदूर क्षेत्रों में भी शाखाएं लग रही हैं. पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी जी तथा विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय विचारक डॉ. राकेश सिन्हा जी थे. पुस्तकों का प्रकाशन प्रभात प्रकाशन ने किया है.
सह सरकार्यवाह जी ने कहा कि महात्मा गांधी ने आजादी की लड़ाई में देशवासियों में स्वतंत्रता की ललक जगाई थी. ठीक उसी तरह संघ ने देशवासियों में राष्ट्रीयता का भाव जगाया है. संघ एक विचार का नाम है. संघ ने सांस्कृतिक व हिन्दुत्व का विचार देश को दिया है. जब संघ की स्थापना हुई तो उपहास उड़ाया गया. कहा जाता था कि जब तक कंधे पर शव न हो, चार हिन्दू एक दिशा में नहीं जा सकते. अंग्रेजों ने ही नहीं, अपनों ने भी बंदिशें लगाईं, लेकिन पिछले 92 वर्षों से संघ मजबूती से बढ़ रहा है. संघ प्रभावी हुआ तो विरोध होना शुरू हो गया. न केवल वैचारिक, बल्कि शारीरिक रूप से स्वयंसेवकों को नुकसान पहुँचाया जा रहा है. लेकिन आज देश में एक समय में 50 हजार से अधिक शाखाएँ लग रही हैं. नेतृत्व, कार्यपद्धति व विचार से संघ ने अपनी पहचान बनाई. हिन्दी का प्रचार-प्रसार किया. देश को एक राष्ट्र मानने वाले आज संघ में सभी धर्म, पंथ व संप्रदाय के लोग हैं.
सुशील कुमार मोदी जी ने कहा कि संघ में न केवल हिन्दू बल्कि सभी धर्मों के लिए दरवाजा खुला है. विपरीत परिस्थितियों के कारण देश-दुनिया के कई संगठन बिखर गए, लेकिन संघ लगातार राष्ट्र-समाज को दिशा देता रहा. नाहक ही महात्मा गांधी की हत्या का मिथ्या आरोप संघ पर मढ़ा गया. शाखा में आकर देखें तो पता चलेगा कि संघ क्या है.
राष्ट्रीय विचारक डॉ. राकेश सिन्हा जी ने कहा कि इतिहासकारों ने संघ की उपेक्षा की. आलस्य, पूर्वाग्रह के कारण संघ के काम को उन्होंने नजरअंदाज किया. संघ के स्वयंसेवक सकारात्मक भाव से राष्ट्र-निर्माण के सभी कार्यों में हरसंभव सहयोग करते हैं. समारोह में बुद्धिजीवी, चिंतक, विचारक, साहित्यकार व पत्रकारों ने भाग लिया.
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