हरिद्वार,दिसंबर 22 : सेवा के लिए संवेदनशील अन्तःकरण की आवश्यकता होती है। ईसाइयों की सेवा का हम सम्मान करते है। लेकिन उनकी सेवा स्वार्थहीन हो तभी उसका सही सम्मान किया जा सकता है।
भारत के पूर्वज सर्वे भवंतु सुखिनः के सिद्धान्त पर चलते रहे और इसका पूरी दुनिया में प्रचार किया। आज हमें अपने पूर्वजों के दिखाए मार्ग पर चलकर दुनिया को राह दिखानी है और भारत को विश्वगुरू बनाने का संकल्प करना है। यह राष्ट्रीय सेवक संघ सरकार्यवाह सुरेश भैया जी जोशी ने कहा हैं।
सुरेश भैया जी जोशी कुष्ठ रोगियों एवं उनके बच्चों को समर्पित अध्यात्म प्रेरित स्वैच्छिक सेवा संस्थान दिव्य प्रेम सेवा मिशन के चिल्ला बैराज स्थित वंदेमातरम् कुंज में आयोजित वार्षिक समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि अपने आस-पास का परिवेश वेदना निर्माण करने वाला दिखाई देता है, अनाचार के मार्ग पर लोग चलते दिखाई देते हैं, हमें ऐसे भारत का निर्माण करना है जो इन सभी कारणों का निराकरण कर सके।उन्होंने कहा कि हिमालय की इन पहाड़ियों में लोग मोक्ष प्राप्त करने आते हैं लेकिन आशीष जी ने मोक्ष के मार्ग को छोड़कर अपने बन्धुओं की पीड़ा को समझा और इस सेवा कार्य में लगें।
भारत का वैभव गौरव कैसे रहेगा इसकी चिन्ता करने की जरूरत है। हमारे पूर्वजों ने सर्वे भवन्तु सुखिनः का नारा दिया और अतिथि को भगवान के स्वरूप में देखा उन्होंने कहा कि इसाईयों की सेवा का हम सम्मान करते हैं लेकिन वे स्वार्थहीन सेवा करें। सेवा के लिए संवेदनशील, अन्तःकरण की आवश्यकता होती है।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए एमडीएच मसाले के प्रबन्ध निदेशक महाशय धर्मपाल ने बताया कि पैसा मैं अपने लिए नहीं कमाता बल्कि समाज के अच्छे कार्यो को सफल बनाने के लिए कमाता हूं। उन्होंने कहा कि मेरे जैसा बनना चाहते हो तो मेरी बातों पर अमल करो। हमें यहां आकर बहुत खुशी होती है तथा इन बच्चों को देखकर मन प्रसन्न होता है।
योगगुरू स्वामी रामदेव ने कहा कि सृष्टी ने हमारा निर्माण कर दिया अब हम देश के लिए क्या कर सकते हैं हमारे अन्दर विवेकानन्द दिखाई दे, गौतम पतंजली दिखाई दें ऐसे जीवन का निर्माण करना चाहिए।
यहां जो भी आये हैं सभी कामनाओं से मुक्त होकर जाएं और एक बच्चे के पालन पोषण का संकल्प लेकर अपने कर्तव्य का निर्वाह करें। उन्होंने कहा कि सेवा, साधना ही स्थाई संपत्ति है जो अनेक जन्मों तक आपके साथ रहेगी ।
इस मौके पर पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि दिव्य प्रेम सेवा मिशन का सेवा कार्य शब्दों में नहीं बयान किया जा सकता। उन्होंने कहा कि जब तक मेरा जीवन है मिशन के सेवा कार्यों को हम सहयोग करते रहेंगे।
उन्होंने कहा की राज्याश्रय में रहने वाली संस्थाओं का वजूद जल्दी समाप्त हो जाता है लेकिन समाज के सहयोग वाली संस्थाएं निरन्तर चलती रहती हैं। कार्यक्रम को केन्द्रीय कैबिनेट मंत्री संतोष गंगवार पूर्व केन्द्रीय मंत्री सतपाल महाराज, प्रभात प्रकाशन के प्रभात कुमार पूर्व मंत्री शिवप्रताप शुक्ल, उद्योगपति चन्द्रकुमार सोमानी ने भी सम्बोधित किया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। सम्मेलन में संस्था की विभिन्न कार्ययोजनाओं पर विचार किया गया। संचालन समिति की बैठक में स्वच्छ भारत, विदेश पर्यटन, पर्यावरण, मिशन का आर्थिक प्रबन्धन, एवं अर्ध कुम्भ हरिद्वार सहित आठ प्रस्ताव पारित किये गये।
सेवा मिशन द्वारा चलाये जा रहे हरित भारत अभियान के अन्तर्गत संस्था सदस्यों एवं सहयोगीयों द्वारा 11 हजार पौधों का रोपण किया गया। इस अवसर पर कुम्भ 2010 में मिशन द्वारा 12 दिन तक अलग-अलग विषय पर व्याख्यान माला कुम्भ मंथन में व्यक्त विचारों का संग्रह संजय चतुर्वेदी द्वारा संपादित ‘कुम्भ आस्था का प्रतीक’ नामक पुस्तक का विमोचन किया गया।
दिव्य प्रेम सेवा मिशन के अध्यक्ष आशीष गौतम एवं संयोजक संजय चतुर्वेदी ने समारोह में आये अतिथियों को मिशन का प्रतीक चिन्ह एवं गंगा जली देकर सम्मानित किया।
इस मौके पर आरएसएस के संयुक्त क्षेत्र प्रचार प्रमुख कृपाशंकर,प्रांत प्रचारक डा. हरीश,बिनोद गांध्ी दिल्ली, संगीत सिंह सोम विधायक, उमेश निगम कानपुर, गिरीश चन्द्र सिन्हा लखनऊ, संजय सिंह इलाहाबाद, महेश चतुर्वेदी इलाहाबाद, वीरेन्द्र सिंह किसान संघ, रामनाथ कोविद सांसद राज्य सभा, प्रदीप काैिशक, विजय पाल सिंह, ज्ञान सिंह नेगी, प्रेम चन्द्र अग्रवाल;विधयक, डॉ0 राजकुमार रावत, कुलदीप गुप्ता, जसवीर सिंह, पी0एन0 पाठक, गोपाल कृष्ण फरलिया, राकेश पहलवान, जुगलकिशोर सिंह तिवारी, पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल सांसद, पूर्व मंत्री मोहन सिंह गांववासी, डॉ0 राममहेश मिश्र, ब्रह्मदेव शर्मा, विधायक आदेश चौहान भाजपा नेता डॉ. अनिल जैन, पूर्व विधायक सुरेश चन्द्र जैन सहित गणमान्य लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन बृजेश रावत और राजीव गुप्ता ने किया।