हम हिंदुस्तान में संपूर्ण वैभव संपन्न हिंदू राष्ट्र खड़ा करेंगे – श्री मोहनजी भागवत

कोलकाता दिसम्बर 20 : धर्मांतारण का समर्थन करते हुए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि इसमें कोई बुराई नहीं है । उन्होंने कहा कि घर छोडकर गये लोगों की वापसी में कोई बुराई नहीं है । सरसंघचालक ने कहा कि हम हिंदू हैं, हिंदू रहेंगे । हम हिंदुस्तान में संपूर्ण वैभव संपन्न हिंदू राष्ट्र खड़ा करेंगे ।

कोलकत्ता में आज एक कार्यक्रम में सरसंघचालक ने कहा कि इस पर किसी को आपत्ती है तो संसद में वह कानून बनाये ।उन्होंने कहा कि संसद में कानून बनाने की बात आई तो लोगों ने उस पर भी आपत्ती जताई । बताते चलें के की धर्मांतरण के मुद्दे पर संसद के शीत सत्र में हंगामा जारी है । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी धर्मांतरण की निंदा कर चुकें हैं ।

सरसंघचालक ने कहा कि जो भूले-भटके  है उन्हें वापस लाएंगे । हमारे में से ही ये लोग गए हैं । हमारा सामान चोरी गया हम उसे लें तो उसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए । और अगर पसंद नहीं है तो कानून बनाओ। संसद ने कहा है कानून बनाओ लेकिन उनको उसमें भी आपत्ति है । हिंदू किसी के परिवर्तन पर विश्वास नहीं करता । हिंदू कहता है परिवर्तन अंदर से होता है, लेकिन हिंदू का कभी परिवर्तन नहीं होगा । हिंदू इस पर खड़ा है, अड़ा है ।

मोहन भागवत ने कहा कि हमने संकल्प किया है और हिंदू समाज जब भी मन से संकल्प करता है तो उस संकल्प को अवरुद्ध करने की शक्ति दुनिया में किसी की नहीं होती क्योंकि हिंदू समाज का संकल्प किसी के विरुद्ध नहीं होता। सबके कल्याण का होता है। उन्होंने कहा कि जब-जब हिंदू समाज की उन्नति होती है, दुनिया का कल्याण होता है ।

संघ प्रमुख ने कहा कि यहां पर हम लोग सम्मेलन कर रहे हैं। संत हमारे लिए संकल्प दे रहे हैं । उसमें सबके कल्याण की भावना है। उसके पीछे हमारा सबका संकल्प और बाहुबल खड़ा है। हम कहीं बाहर से नहीं आए, ये हमारे पूर्वजों के वंशज हैं। ये हमारा हिंदू राष्ट्र है। भागवत ने कहा कि हिंदू जाग रहा है, किसी को डरने की जरूरत नहीं है। डरते वहीं हैं जिनके मन में पाप है। हिंदुओं ने कभी किसी को प्रताड़ित नहीं किया । उन्होंने कहा कि अभी तक हिंदू सहन ही करता रहा है, लेकिन हमारे भगवान ने कहा है कि सौ से ज्यादा सहन भी नहीं करना। अब और कितना सहन करना? केवल हमें ही नहीं दुनिया को भी सहन करना पड़ता है। औरों के पास उपाय नहीं है लेकिन हमारे पास उपाय है ।

 भागवत ने कहा कि गुरु तेगबहादुर का सिर काटा गया । बाद में देखा कि उनके एक कागज पर लिखा था कि सिर दे दिया सार नहीं दिया। हम सिर भी बचाएंगे और सार भी नहीं देंगे । हम दोबारा युगानुकूल संस्कृति देंगे । जब हम कहते हैं ये हमारा देश है तो इसका मतलब ये नहीं कि हम इसके मालिक हैं ।हम कहते हैं कि ये मेरी मातृभूमि है । उन्होंने कहा कि पाकिस्तान भी भारत भूमि है । बंटवारें के समय जो कुछ हुआ वह स्थायी तो नहीं है । हिंदू को उठने नहीं दिया फिर भी पाकिस्तान सुख में नहीं है । जब तक हिंदू उठकर खड़ा नहीं होता तब तक भारत में रहने वाले किसी भी व्यक्ति को सुख नहीं है । जिनका स्वार्थ होगा वो विरोध तो करेगा ही, थोड़ा बहुत संघर्ष तो होगा ।

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