हसन मेवाती खां ने राष्ट्र की रक्षा के लिये बाबर के छक्के छुड़ाते हुए अपने प्राणो की आहुति दी – श्री मोहनजी भागवत

भरतपुर (विसंके). शुक्रवार 20 फरवरी को राणा सांगा स्मृति समिति, खानवा द्वारा राणा सांगा स्मृति समारोह का आयोजन किया गया. आयोजन का प्रारम्भ वंदे मातरम के गायन से हुआ.

कार्यक्रम में मुख्यवक्ता के रूप में बोलते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन राव भागवत ने कहा कि खानवा की भूमि अपने शौर्य और वीरता के लिये जानी जाती है. प्रत्येक राष्ट्रवादी भारतीय का प्रथम धर्म भारत माता की रक्षा करना होता है. पूजनीय सरसंघचालक जी ने हसन मेवाती खां का उदहारण देते कहा कि राष्ट्र की रक्षा के लिये बाबर के छक्के छुड़ाने वाले वीर ने अपने प्राणों की आहुति दी. हमें अपने धर्म की रक्षा और मातृभूमि की रक्षा के लिये जागृत रहने की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा कि जब-जब हम अपने आप को भूले हैं, तब-तब हार हुई है. खानवा का युद्ध भारत के स्वभाव का परिचायक है और यहां बना राणा सांगा स्मारक विदेशी आक्रांता के बनाये बुलंद दरवाजे का जवाब. राणा सांगा स्मारक को भव्य बनाना चाहिये ताकि नई पीढ़ी भारत के स्वभाव से परिचित हो सके.

सरसंघचालक जी ने कहा कि खानवा गांव भारत के इतिहास का मोड़ हैं. क्षेत्र के योद्धाओं ने एकजुट होकर भारत मां की तौहीन करने वाले बाबर का विरोध किया. हालांकि बाबर ने हसन मेवाती खां को मुसलमान होने का वास्ता देते हुए साथ देने की बात कही. इस पर हसन खां ने जवाब भेजा कि हमारा मजहब एक हो सकता है, किंतु आप भारत के विरोधी हैं. हसन खां ने राणा सांगा का पक्ष लेकर भारत के स्वभाव को बताया. यद्यपि इस युद्ध में राणा सांगा की हार हुई थी, किंतु भारत के इस स्वभाव को बाद में देश के राजाओं ने महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी का साथ देकर जताया था. यह भावना हमेशा जारी रहनी चाहिये.

 विदेशी आक्रांता बाबर यहां आया तो उससे युद्ध करने के लिये हसन खां सहित देश की तमाम रियासतों के राजा और योद्धा महाराणा सांगा के नेतृत्व में एकजुट हो गए थे. इन सब ने भारत मां की तौहीन करने वाले बाबर का विरोध किया.

देशमें करीब 6.75 लाख गांव हैं, जिसमें विभिन्न भाषा, धर्म और संस्कृतियों के लोग रहते हैं, किंतु सभी भारत मां के पुत्र हैं. देश की एकता अखंडता की रक्षा के लिए प्राण न्यौछावर करना हमारा पहला धर्म है. सांगा ने अखंडता का संदेश दिया.

इस अवसर पर राणा सांगा पर डाक टिकट भी जारी किया गया. कार्यक्रम में उपस्थित पुरातत्व संरक्षण समिति के अध्यक्ष ओंकार लखावत ने राणा सांगा स्मारक व राजस्थान के प्रमुख ऐतिहासिक धरोहरों के बारे में जानकारी दी. लखावत ने कहा कि इतिहास को पुन: लिखने की आवश्यकता है. अभी तक अबुल फजल और कर्नल टाड का लिखा विकृत इतिहास पढ़ाया जा रहा है. इसमें भारत के पक्ष को ठीक से प्रस्तुत नहीं किया गया है. सरकार देश की एकता और अखंडता का संदेश देने वाले स्मारक खड़े कर रही है. इसी कड़ी में करीब 35 स्मारक राजस्थान में बनाए जा रहे हैं.
कार्यक्रम के अध्यक्ष संत बाबा बालकदास ने कहा कि ईश्वर मनुष्य का भाग्य बनाता है और संघ मनुष्य का सौभाग्य बनाता है. उन्होंने कहा कि मुनि और ऋषियों के काम को संघ आगे बढ़ा रहा है. संघ हमें जीना सिखाता है.

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