हिंदू निष्कासित होकर आश्रय के लिये भारत में आता है तो, उसे सुरक्षा प्रदान करना सरकार ने अपना दायित्व और समाज ने अपना धर्म मानना चाहिये : श्री भैयाजी जोशी

नागपुर,16 मार्च

आज अधिकाधिक लोग राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुडना चाहते हैं। इनमें युवकों की संख्या अधिक है। संघ भी अधिकाधिक लोगों तक पहुँचने के लिये आधुनिक तंत्र का उपयोग कर रहा है। ‘जॉईन आरएसएस’ के अंतर्गत प्रतिमाह तीन हजार नये लोग संघ से जुडते हैं, ऐसी जानकारी संघ के नवनिर्वाचित सरकार्यवाह श्री भैय्याजी जोशी  ने पत्रपरिषद में दी। नागपुर के रेशिमबाग परिसर में कल से हो रही रा. स्व. संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में श्री भैय्याजी जोशी को लगातार तीसरी बार सरकार्यवाह चुने जाने के बाद, वे आज पत्रपरिषद को संबोधित कर रहे थे।

श्री भैय्याजी ने आगे बताया कि संघ से केवल शहरी क्षेत्र के ही लोग जुड़ना चाहते हैं ऐसा नहीं, ग्रामीण क्षेत्र के लोगों में भी संघ के काम के प्रति उत्सुकता है, गाँवों से भी अनेक लोग संघ से जुड़ना चाहते हैं। गत तीन वर्षों में संघ का काम54,000 गाँवों तक पहुँचा है। संघ राजनीति से उठकर समाज-जीवन से जुड़ी चुनौतियों को हल करने का प्रयास करता है।

‘घर वापसी’ पर प्रसार माध्यमों में चल रहे विवाद के संबंध में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए श्री भैय्याजी ने कहा कि, इसे सरकार या अन्य किसी पर हमला मानना उचित नहीं। संघ से संबंधित अनेक संगठनों के विचार सरकार की नीतियों से भिन्न हो सकते हैं। उन संगठनों को अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार है। विचार-विनिमय से कोई हल निकल सकता है। विवाद सुलझाने के लिये संघ सुझाव देता है, आदेश नहीं।

‘हिंदू’ संबोधन से संबंधित विवाद पर संघ की भूमिका एक बार स्पष्ट करते हुए श्री भैय्याजी ने कहा कि, ‘हिंदू’ संबोधन पूजा पद्धति से नहीं, जीवनशैली से है। अन्य जीवनशैली अपनाने से संकट निर्माण होते हैं ऐसा हमारा अनुभव है।

केन्द्र सरकार के विवादित भूमि अधिग्रहण विधेयक से संबंधित प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि, इस विधेयक में किये गये संशोधनों के बाद वह लोकसभा में पारित हो चुका है। ऐसा लगता है, इस विधेयक के आपत्तिजनक मुद्दे संशोधनों से समाप्त हो गये हैं।

दुनिया में कहीं भी, किसी भी कारण से हिंदू निष्कासित होकर आश्रय के लिये भारत में आता है तो, उसे सुरक्षा प्रदान करना यह सरकार ने अपना दायित्व, और समाज ने अपना धर्म मानना चाहिये, ऐसा मत भैय्याजी ने एक प्रश्न के उत्तर में व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि आपत्ति में हिंदू आश्रय के लिये भारत में नहीं आयेगा तो अन्य कहाँ जायेगा ?

हाल ही में बंगाल में एक नन पर हुए अत्याचार के संबंध में पूछे गये प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि, कहीं भी, किसीपर भी हुए अत्याचार का निषेध ही होना चाहिये। लेकिन इस बहाने संघर्ष का वातावरण निर्माण करने के प्रयास नहीं होने चाहिये।

अयोध्या में राममंदिर निर्माण के प्रश्न के उत्तर में भैय्याजी ने कहा कि, यह विषय सर्वोच्च न्यायालय में है, इस कारण उसपर बोलना ठीक नहीं।

मिशनरी और संघ के सेवाकार्य में का अंतर स्पष्ट करते हुए श्री भैय्याजी ने कहा कि, संघ के सेवा कार्य का उद्देश जनजातियों की संस्कृति की रक्षा करना और उनके आर्थिक तथा सामाजिक समस्या हल करना होता है।

गोवा में गांधी जयंति कि छुट्टी निरस्त किये जाने संदर्भ में पूछे प्रश्न के उत्तर ने भैय्याजी ने कहा कि, इस बारे में जानकारी लेकर ही कुछ कहा जा सकता है। लेकिन एक बात तो सत्य है कि भारत में छुट्टियाँ बहुत अधिक होती हैं, हमें छुट्टियों के आनंद की मानसिकता से बाहर निकलना होगा।

आनेवाले समय में संघ प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में देना, गौरक्षा आदि विषयों पर जनजागृति करने पर विशेष ध्यान देगा ऐसा उन्होंने कहा।

संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ. मनमोहनजी वैद्य मंच पर उपस्थित थे। पत्रपरिषद का प्रास्ताविक रा. स्व. संघ के विदर्भ प्रांत प्रचार प्रमुख अतुलजी पिंगले ने किया।

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