पटना (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने 28 फरवरी को प्रातः पटना के शाखा मैदान में आयोजित बौद्धिक वर्ग को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि ‘सर्वेषां अविरोधेन’ को सदैव ध्यान में रखना चाहिए. हमारा किसी से विरोध नहीं, हम सबको साथ लेकर चलते हैं. हमारे मन में किसी के प्रति द्वेष और ईर्ष्या नहीं आनी चाहिए. बुद्धि-विवेक के साथ ज्यादा समय देकर हमें कार्य करना है. हिन्दू समाज इस देश का उत्तरदायी समाज है, इसलिए उसको संगठित करना हमारा काम है. संघ की कार्य पद्धति सब दृष्टिकोण से परिपूर्ण है. साधना की तीव्रता बढ़ाना आज की आवश्यकता है.
उन्होंने स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि अपने जीवन में श्रद्धा और विश्वास का काफी महत्व है. अपने निकट के भगवान को भी इन गुणों के बिना नहीं प्राप्त किया जा सकता है. अपने सत्य पर विश्वास कम हो जाता है तो व्यक्ति पराजित हो जाता है. इसलिए अटूट निष्ठा अपने सिद्धांत पर रखना चाहिए. हम ईश्वरीय कार्य कर रहे हैं, इसलिए अवश्य यशस्वी बनेंगे. हम जितनी ज्यादा योग्यता प्राप्त करेंगे, उतना शीघ्र लक्ष्य प्राप्त होगा.
सरसंघचालक जी तीन दिवसीय प्रवास के क्रम में पटना 25 फरवरी को आए थे. फरवरी 26, 27 एवं 28 को संघ की बैठकों में सरसंघचालक जी ने भाग लिया. रविवार 28 फरवरी को संघ कार्यालय, विजय निकेतन परिसर में उन्होंने वृक्षारोपण किया. इसी दिन उन्होंने डॉ. विवेकानंद तिवारी जी द्वारा लिखित पुस्तक ‘सनातन परंपरा के संवाहक-गांधी और गोलवलकर’ तथा महेश प्रसाद सिंह द्वारा लिखित उपन्यास ‘आत्मा की यात्रा’ एवं ‘सृष्टि रहस्य’ का लोकार्पण भी किया.