हमारी संस्कृति मातृभूमि को कुछ देने व समर्पण का संस्कार सिखाती है – अनिल ओक जी

हमीरपुर, शिमला (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह व्यवस्था प्रमुख अनिल ओक जी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है, जो संपूर्ण राष्ट्र का चिंतन करता है. संघ को समझना है तो संघ के अंदर आकर, शिक्षण प्राप्त कर समझा जा सकता है, बाहर रहकर अपनी स्वयं की धारणा से संघ को नहीं समझा जा सकता. अनिल जी हिमाचल प्रांत के संघ शिक्षा वर्ग प्रथम वर्ष सामान्य के समारोप कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि देश में परिवर्तन का केवल एक ही उपाय है, प्रत्येक व्यक्ति को सात्विक, अनुशासित और प्रामाणिक होना पड़ेगा. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की एक घंटे की शाखा में यही सिखाया जाता है. भारत हमारी माता है. यहां की संस्कृति हमें आपस में भाईचारे, मातृभूमि से लेने का नहीं, बल्कि  कुछ देने व समर्पण का संस्कार सिखाती है, जो अपने श्रेष्ठ जीवन मूल्य हैं.

संघ शिक्षा वर्ग प्रथम वर्ष का शुभारंभ 26 जून को हुआ, 16 जुलाई को समारोप कार्यक्रम का आयोजन किया गया. 17 जुलाई को दीक्षांत कार्यक्रम के साथ वर्ग संपन्न हुआ. वर्ग का आयोजन जिला हमीरपुर के एमआईटी संस्थान बणी में किया गया था. वर्ग में हिमाचल के साथ ही उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, कानपुर, गुजरात, दिल्ली के 302 शिक्षार्थियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया. समारोप कार्यक्रम में शिक्षार्थियों ने नियुद्ध, दंड युद्ध, योगासन, खेल व घोष वादन का प्रदर्शन किया. सामूहिक वर्ग गीत का गायन हुआ.

संघ शिक्षा वर्ग के समारोप कार्यक्रम की अध्यक्षता बैंक ऑफ इंडिया से सेवानिवृत्त डीजीएम केसी कंवर ने की. उन्होंने कहा कि आप सभी भागयशाली हैं, जिन्हें संघ का शिक्षण प्राप्त करने का अवसर मिला है. संघ शिक्षा वर्ग के वर्गाधिकारी शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त उपनिदेशक प्रीतम सिंह ढटवालिया ने वर्ग के अनुभवों को स्वयंसेवकों तथा अतिथियों के साथ सांझा किया. उन्होंने कहा कि बीस दिन का प्रशिक्षण वास्तव में साधना का समय है, मैं संघ की कार्यपद्धति व अनुशासन से बेहद प्रभावित हुआ हूं.

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