भारत विकास परिषद एक सेवा एवं संस्कार-उन्मुख अराजनैतिक, सामाजिक-सांस्कृतिक स्वयंसेवी संस्था है। यह मानव-जीवन के सभी क्षेत्रों (संस्कृति, समाज, शिक्षा, नीति, अध्यात्म, राष्ट्रप्रेम आदि) में भारत के सर्वांगीण विकास के लिये समर्पित है। इसका लक्ष्यवाक्य है – “स्वस्थ, समर्थ, संस्कृत भारत”।
स्थापना :
स्वामी विवेकानन्द के जन्मशताब्दी के अवसर पर १२ जनवरी सन् १९६३ कों भारत के प्रमुख उद्योगपतियों एवं समाज-सुधारकों जैसे- लाला हंस राज, डॉ सूरज प्रकाश आदि द्वारा “नागरिक समिति” (Citizens Council) की स्थापना की गयी थी ताकि चीनी आक्रमण का प्रतिकार किया जा सके। बाद में इसी का नाम “भारत विकास परिषद” (BVP) रखा गया। १० जुलाई सन् १९६३ को सोसायटीज पंजीकरण अधिनियम, १८६० के अन्तर्गत इसका पंजीकरण हुआ। इस प्रकार यह परिषद स्वामी विवेकानन्द के आदर्शों एवं शिक्षाओं पर चलती है।
कार्य :
- भारत विकास परिषद् संस्कार, सेवा, संपर्क, परियोजना के द्वारा समाज की सेवा करती है।
- संस्कार योजना के द्वारा बच्चों, युवाओं, परिवार, वरिष्ठ नागरिक के लिए विकास कार्यक्रम चलाती है। जिसमे प्रमुख है- बाल संस्कार शिविर, राष्ट्रीय संस्कृत गीत प्रतियोगिता, भारत को जानो, युवा संस्कार शिविर, परिवार संस्कार शिविर, आदि.
- सेवा योजना के द्वारा विकलांगो का कल्याण, पुनर्वास, आदिवासी विकास, गाँव और शहरी – झोपड़ी विकास, सामूहिक सरल विवाह, महिलाएं और बच्चे को कानूनी सलाह देती है।
अपने संपर्क योजना के द्वारा संस्कृति सप्ताह, स्थापना दिवस और प्रतिभा सम्मान, सेमिनार जैसी कार्यक्रम का आयोजन समय-समय पर करती है।
भारत विकास परिषद् द्वारा किये जाने वाले कार्यक्रम :
- 1967 से परिषद् देशभक्ति गीतों का राष्ट्रीय समूह गान प्रतियोगिता करती है, जिसमे स्कूली बच्चें भाग लेते है। यह कार्यक्रम शाखा स्तर से राज्य और राष्ट्रीय स्तर तक आयोजित होती है। लगभग 5, 000 स्कूलों द्वारा लाखों बच्चें इस प्रतियोगिता मे हिस्सा लेते है।
- भारत विकास परिषद् देश का एक मात्र संगठन है जो संस्कृत भाषा मे देशभक्ति गीत प्रतियोगिता आयोजित करती है। जो शाखा से राष्ट्रीय स्तर तक होती है।
- गुरु वंदना छात्र अभिनन्दन कार्यक्रम, प्रत्येक साल करती है जिसमे 30 लाख से ज्यादा छात्र भाग लेते है। ऐसे कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों मे अपने माता- पिता और गुरु के प्रति सम्मान का भावना जगे.
· देश भर में वर्तमान में 17 गाँवों का चयन कर उन्हें समग्र विकास के साथ जोड़ने का प्रयास किया गया है। ये सारे ही गाँव शहरी आबादी से दूर, सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में हैं।
- साल दर साल भारत विकास परिषद् अपने 13 केन्द्रों के द्वारा मुफ्त मे कृत्रिम पैर विकलांग लोगो को उपलब्ध करती है। वर्ष 2007-08 में कृत्रिम पैर, व्हील चेअर 23, 658 विकलांग लोगो को उपलब्ध कराई।
- भारत विकास परिषद एक गैर सरकारी सामाजिक संस्था है। संस्था के लगभग एक लाख सदस्य है। संस्था इन्हीं सदस्यों के आर्थिक सहयोग से अपने विभिन्न प्रकल्प संचालित करती है। संस्था दो प्रकार के कार्य प्रमुखता से करती है। एक सेवा कार्य और दूसरा संस्कार कार्य।
- विकलांग सहायता योजना- वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में 2.19 करोड़ व्यक्ति विकलांग हैं जो कुल जनसंख्या का 2% है। विश्व बैंक एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमानों के अनुसार अविकसित देशों में यह संख्या 10.2% है। यह कुल विकलांग व्यक्तियों की संख्या का 27.87% ऐसे व्यक्तियों का है जो अंग संचालन में असमर्थ है या उन्हें कठिनाई होती है। ऐसा भी अनुमान है कि प्रति वर्ष 40,000 व्यक्ति विभिन्न कारणों से अपंग हो जाते हैं।
- इस समस्या निवारण के लिए भारत विकास परिषद ने 1990 में विकलांग सहायता एवं पुनर्वास योजना राष्ट्रीय प्रकल्प के रूप में प्रारम्भ की। वर्तमान में सम्पूर्ण भारत में 13 केन्द्रों पर विकलांगों के लिए कृत्रिम अंग एवं अन्य उपकरण उपलब्ध कराए जाते हैं।
- कृत्रिम अंगों का निर्माण – परिषद के केन्द्र कृत्रिम अंगों एवं उसके भागों का निर्माण करने हेतु आधुनिकतम यंत्रों से लैस हैं। वहाँ काम करने वाले प्रशिक्षित टैक्निशियनों ने इन अंगों में निरंतर सुधार करके इन्हें अत्यन्त हल्का एवं सुविधाजनक बना दिया है। ये अंग विकलांग व्यक्तियों को अत्यंत शीघ्रता से लगाए जा सकते हैं जो देखने में सुन्दर लगते हैं एवं इनके सहारे व्यक्ति असली अंगों की भांति बैठने, दौड़ने, चलने, तैरने, सायकिल एवं कार चलाने के समस्त कार्य कर सकता है। इनकी सहायता से विकलांग व्यक्ति भारी वजन भी उठा सकता है एवं वर्कशॉप तथा खेतों में काम कर सकता है।
- पुनर्वास योजना – विकलांग व्यक्ति के सामाजिक और आर्थिक पुनर्वास की जरूरत रहती है, इसलिए परिषद ने विकलांगों के स्वरोजगार की एक योजना भी प्रारम्भ की है। इन केन्द्रो पर रोजगार परक प्रशिक्षण जैसे कम्प्यूटर कार्य, सिलाई, कपड़ों की छपाई, जिल्दसाजी, मोमबत्ती, चाक, डस्टर आदि निर्माध प्रमुख है। इन्हें कार्यालयों एवं फैक्टरियों में भी रोजगार दिलाने का प्रयत्न किया जाता है। ये केन्द्र विकलांगों के विवाह का भी आयोजन करते हैं।
- भारत विकास परिषद एकमात्र गैर सरकारी संस्था है जो प्रत्येक वर्ष अधिकतम विकलांगों को सहायता करती है। 1990 में दिल्ली में प्रथम विकलांग केन्द्र स्थापित हुआ था एवं तब से यह निरंतर इस दिशा में सेवारत है। प्रत्येक वर्ष परिषद केन्द्रों एवं शाखाओं द्वारा 2 करोड़ 60 लाख मूल्य के लगभग 24000 उपकरण विकलांगों को प्रदान करती है। परिषद के दो विकलांग केन्द्रों को राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। वर्ष 1995 एवं 2004 में महामहिम राष्ट्रपति जी ने लुधियाना केन्द्र को पुरस्कृत किया था। इसी के साथ लुधियाना के केन्द्र को ही 2007 में प्रधानमंत्री द्वारा विकलांगों के पुनर्वास हेतु श्रेष्ठ कार्य के लिए फिक्की पुरस्कार से सम्मानित किया था।
- परिषद के विकलांग केन्द्र -1 अहमदाबाद 2 दिल्ली 3 गुवाहाटी 4 हिसार 5 हैदराबाद 6 इन्दौर 7 कोटा 8 लुधियाना 9 मुरादाबाद 10 नगरोटा 11 पटना 12 पुणे 13 संचौर
भारत विकास परिषद का चिन्ह (लोगो) : नीचे दिखाये अनुसार है :
भारत विकास परिषद का जाल स्थल (वेब साईट ) : www.bvpindia.com